पराली जलाने के कारण बढ़ रहे प्रदूषण पर बहस के बीच हरियाणा के किसान इससे चारा बना रहे हैं। रोहतक में पराली को इकट्ठा करके चारा बनाया जा रहा है। इससे पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। एक किसान ने बताया कि अब पराली नहीं जला रहे। पराली अब बिकने लगी है, पहले पराली नहीं बिकती थी जिसके कारण इसे जलाना पड़ता था। अब पराली से पशुओं के लिए चारा भी बना लेते हैं।
63 स्थानों पर जलाई पराली
हरियाणा में शुक्रवार को कुल 63 स्थानों पर पराली जताई गई। इनमें अंबाला में 9, फतेहाबाद 13, हिसार 1, जींद 9, कैथल 14, करनाल 2, पलवल 3, सिरसा 10, यमुनानगर में 2 स्थानों पर पराली जलाई गई। अब तक सीजन में कुल 2440 स्थानों पर पराली जलानी दर्ज की गई है।
शुक्रवार को हरियाणा में केवल पंचकूला शहर की स्थिति संतोषनजक रही, यहां एक्यूआई 109 दर्ज किया गया और यमुनानगर का आंकड़ा 184 और अंबाला का 194 रहा। अधिक प्रदूषण वाले शहरों में जींद 434 गुरुग्राम 411, हिसार 428, बहादुरगढ़ 457, चरखी दादरी 406, फरीदाबाद 422 और रोहतक में 406 एक्यूआई रहा।
इसी प्रकार, ज्यादा खराब की श्रेणी में भिवानी 390, बल्लभगढ़ 378, फतेहाबाद 390, सोनीपत 383, सिरसा 324, कैथल 358, मानेसर 393 और पानीपत में 341 रहा। इसके अलावा, करनाल में 236 व नारनौल में एक्यूआई 249 दर्ज किया गया। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले साल भी इसी प्रकार के हालात पैदा हो गए थे। बता दें कि 0 से 50 तक अच्छा और 51 से 100 तक वायु गुणवत्ता सूचकांक को संतोषजनक माना जाता है। 101 से 200 तक मध्यम, 201 से 300 तक खराब, 301 से 400 तक ज्यादा खराब और 400 से ज्यादा को बेहद खराब माना जाता है।
प्रदूषण को रोकने के लिए हरियाणा में इस बार सख्ती से नियमों का पालन किया गया है। पराली भी इस बार कम जली है। दिल्ली और एनसीआर के जिलों में बढ़ते प्रदूषण का कारण पंजाब है। पंजाब में लगातार पराली जलाई जा रही है और वहां से हवा के साथ धुआं यहां पहुंच रहा है। बोर्ड की ओर से लगातार निगरानी की जा रही है। फैक्ट्रियों समेत अन्य की लगातार निगरानी जारी है। -पी राघवेंद्र राव, चेयरमैन, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।