सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एम.आर. शाह तथा जस्टिस हिमा कोहली ने भाजपा नेता एवं अधिवक्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर विचार के दौरान कहा कि धर्मांतरण लालच, धोखाधड़ी या बलपूर्वक किया जाने वाला खतरनाक और बहुत ही गम्भीर मुद्दा है। यदि इस प्रकार का धार्मान्तरण नहीं रोका गया तो जटिल स्थिति पैदा हो सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ यह नागरिकों के धर्म और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के लिए भी खतरा बन सकती है। केन्द्र सरकार को इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहियें। याचिकाकर्ता श्री उपाध्याय ने याचिका में कहा कि देश के प्रत्येक जिले में धर्मान्तरण की घटनायें होती है। याचिकाकर्ता ने तमिलनाडु के तंजावुर की 17 वर्षीया हिन्दू लड़की का हवाला दिया जिसने जबरन धर्मान्तरण के दबाव में आत्महत्या कर ली थी। श्री उपाध्याय ने अपनी याचिका में कोर्ट से कहा कि यदि धर्मान्तरण नहीं रोका गया तो हिन्दू एक दिन अल्पसंख्यक हो जायेंगे और देश की आजादी संकट में पड़ जाएगी।
श्री उपाध्याय की याचिका देश के समक्ष उत्पन्न एक गम्भीर खतरे की ओर संकेत करती है। जबकि यह मामला न्यायालय में चल रहा है, मध्यप्रदेश के दमोह शहर से खबर आई कि ईसाई मिशनरियों द्वारा 10बच्चों का धर्मान्तरण किया गया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसके विरुद्ध पुलिस में केस दर्ज कराया है। देश में धर्मान्तरण और लव जिहाद की घटनायें होती ही रहती हैं। ये हमारी अस्मिता, लोकतंत्र और आजादी को बड़ा खतरा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन पर पाबन्दी लगाने का केन्द्र को सही सन्देश दिया है जिस पर ठोस और पुख्ता अमल होना चाहिये।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’