सत्येंद्र जैन से जुड़े धन शोधन मामले में दो आरोपियों ने मांगी जमानत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन से जुड़े धनशोधन के मामले में दो आरोपियों वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिकाओं पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन भी आरोपी हैं।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने ईडी को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि क्यों न आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत स्वीकार कर ली जाए। अदालत ने सत्येंद्र जैन की जमानत अर्जी के साथ इन दोनों जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 20 दिसंबर तय की है।

दोनों आरोपियों ने ट्रायल कोर्ट के 17 नवंबर के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी गई थी कि उन्होंने जानबूझकर जैन को अपराध की कार्यवाही को छिपाने में मदद की और वे मनी लॉन्ड्रिंग के प्रथम दृष्टया दोषी हैं। ट्रायल कोर्ट ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि वह प्रथम दृष्टया अपराध की आय को छिपाने में शामिल थे।

अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया जैन वास्तव में कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकद देकर अपराध की आय को छिपाने में शामिल थे और उसके बाद तीन कंपनियों में नकदी ला रहे थे। इस प्रक्रिया से 4.61 करोड़ रुपये के एक तिहाई के बराबर अपराध की आय को लूट लिया गया है। इसके अलावा जैन ने जेजे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अपनी कंपनी में कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों से आवास प्रविष्टियां प्राप्त करके 15 लाख रुपये के अपराध की आय को परिवर्तित करने के लिए भी इसी कार्यप्रणाली का उपयोग किया है।

अदालत ने नोट किया था कि इन तीन कंपनियों के खातों में पड़ी राशि वास्तव में जैन और सह-आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन की थी। यह देखा गया था कि जैन द्वारा दो सह-आरोपी द्वारा प्रदान की गई नकदी चेक अवधि के दौरान 4.61 करोड़ रुपये थी। ईडी ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत 2017 में जैन के खिलाफ दर्ज सीबीआई की एक प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

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