भारत को US-China के विकास की नकल नहीं करनी: मोहन भागवत

भारत को विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर होना है. हम सही दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं. बस, हमें किसी दूसरे देश की नकल नहीं करनी. ऐसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा मुंबई में. उन्होंने कहा कि जो धर्म मनुष्य को सुविधा संपन्न और सुखासीन बनाता है मगर प्रकृति को नष्ट करता है, वो धर्म नहीं है. उसी का अनुकरण अमेरिका और चीन को देखकर भारत करेगा तो ये भारत का विकास नहीं है. विकास होगा मगर भारत चीन और अमेरिका जैसा बनेगा. ऐसा करने के पीछे अपने धर्म और संस्कृति को लेकर उदासीन होने की जरूरत नहीं है.

मूल में रहते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ना होगा

मुंबई में संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि भारत की दृष्टि, लोगों की परिस्थिति, संस्कार, संस्कृति, विश्व के बारे में विचार, इन सभी के आधार पर भारत का विकास होगा. अगर विश्व से कुछ अच्छा आएगा तो उसे लेंगे मगर हम प्रकृति और अपने शर्तो के अनुसार लेंगे. उन्होंने कहा कि हमें रूस-चीन-अमेरिका की तरह विकास करने से कोई फायदा नहीं मिलेगा, बल्कि हमें अपनी जड़ों को समझते हुए और अपने मूल में रहते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ना है. 

हम अच्छी बातों से सीखेंगे, लेकिन भौंडी नकल नहीं करेंगे

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत देश का विजन अलग है. हमारी परिस्थितियां अलग हैं. हमारे लोगों की इच्छाएं अलग हैं. हमारा कल्चर और ट्रेडिशन अलग है. हम दुनिया को जीना सिखाएंगे. अच्छी बातों से सीखेंगे, लेकिन भौंडी नकल नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि भारत देश की सांस्कृतिक जड़ें बहुत मजबूत हैं. हमें इस बात को नजरअंदाज करने की जरूरत नहीं है. बल्कि अपनी मजबूतियों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ने की जरूरत है. हमारे लोग चीनी और अमेरिकी बनना चाहेंगे, तो ऐसा करना गलत नहीं है. बस, हमें अपने मूल्यों का भी ध्यान रखने की जरूरत है.

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