नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी का भारत के खिलाफ प्रदर्शन

दार्चूला नेपाल में माओवादी विपल्व गुट कम्युनिस्ट पार्टी कार्यकर्ताओं ने सोमवार को भारत के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने भारतीय तटबंध निर्माण क्षेत्र में पत्थरबाजी भी की। भारतीय क्षेत्र में कार्य कर रहे मजदूरों ने किसी तरह भागकर जान बचाई। घटना से भारत के लोगों में गुस्सा है।

माओवादी विप्लव गुट कम्युनिस्ट पार्टी कार्यकर्ता अध्यक्ष भरत मल और सचिव भरत नेपाली के नेतृत्व में दार्चूला नेपाल में एकत्र हुए। यहां उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ नारे लगाए। आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने नेपाली नागरिकों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की। इस दौरान उन्होंने भारतीय क्षेत्र में तटबंध निर्माण कार्य में लगे मजदूरों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी।

भारतीय मजदूरों ने किसी तरह भागकर जान बचाई। इससे पहले भी नेपाली नागरिकों ने भारतीय क्षेत्र में कार्य कर रहे मजदूरों पर पत्थरबाजी की थी जिसमें नेपाल निवासी मजदूर पुष्कर सिंह घायल हो गए थे। धारचूला पुलिस ने पत्थरबाजी करने वाले नेपाल के अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।

चार दिसंबर को भी की गई थी पत्थरबाजी
पिथौरागढ़। काली नदी किनारे भारतीय क्षेत्र में इन दिनों तटबंध निर्माण कार्य चल रहा है। इस बीच नेपाल की ओर से मजदूरों पर सात बार पत्थरबाजी की जा चुकी है। चार दिसंबर को नेपाली नागरिकों के पत्थरबाजी करने के बाद नेपाल ने अपनी ओर से अंतरराष्ट्रीय झूलापुल को बंद कर दिया था जिससे भारत से नेपाल गए व्यापारियों और अन्य लोगों पर वहां पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। घटना से नाराज भारतीय व्यापारियों ने भी पांच दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय झूलापुल बंद कर दिया था। स्थानीय प्रशासन के आश्वासन पर भारतीय व्यापारियों ने पुल को खोला था। 

समन्वय समिति की दो बैठकों के बाद भी नहीं निकला निष्कर्ष
पिथौरागढ़। नेपाल की ओर से पथराव एवं पुल बंद कर भारतीय व्यापारियों और अन्य लोगों पर लाठीचार्ज करने के बाद नेपाल के दार्चूला जिला मुख्यालय में भारत-नेपाल समन्वय समिति की बैठक हुई थी जिसमें नेपाल ने पथराव करने वालों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था। भारतीय पुलिस ने भी नेपाल के आठ अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इसके बाद भारत के एनएचपीसी तपोवन सभागार में भारत-नेपाल समन्वय समिति की दूसरे दौर की बैठक हुई थी जिसमें दोनों देशों के बीच नदी में पड़े मलबे को हटाने पर सहमति और तटबंध निर्माण कार्य पर दोनों देशों की तकनीकी टीम के नजर रखने पर सहमति बनी थी। दोनों देशों ने अपने-अपने क्षेत्र से मलबा हटाने का कार्य भी कर दिया था। हालांकि नेपाल की ओर मलबे से रेत को छानकर बाकी बचे पत्थरों को वापस उसी क्षेत्र में डाला जा रहा है। 

2013 की आपदा के बाद पड़ी थी तटबंध निर्माण की जरूरत
पिथौरागढ़। वर्ष 2013 की आपदा ने भारतीय क्षेत्र में जमकर कहर बरपाया था। काली नदी किनारे धारचूला से झूलाघाट तक भयानक तबाही हुई थी। आपदा में कई घर बह गए थे जिसके बाद तटबंध निर्माण की जरूरत पड़ी। नेपाल अपने क्षेत्र में मजबूत तटबंध बना चुका है जिसका भारत ने उस समय कोई विरोध नहीं किया था। वर्तमान में भारतीय क्षेत्र में सुरक्षा के लिए घटखोला में करोड़ों की लागत से सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है। तटबंध निर्माण का विरोध करने वाले नेपालियों का कहना है कि भारतीय क्षेत्र में तटबंध के निर्माण के बाद नेपाल क्षेत्र में आपदा का खतरा बढ़ जाएगा। 

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