रक्षा क्षेत्र में भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की राह पर तेजी से कदम बढ़ाया है। मौजूदा समय में 75 से अधिक मित्र देशों की फौज को भारत, विभिन्न तरह के रक्षा उपकरणों की सप्लाई कर रहा है। ‘धनुष’, ‘तेजस’ व टी-90 टैंक जैसे दर्जनों स्वदेशी रक्षा उत्पादों का डंका बजने लगा है। एसयू-30 एमके1, चीता हेलिकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर, डोर्नीयर डीओ-228, हाई मोबिलिटी ट्रक, आईएनएस कलवारी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस चेन्नई और एंटी-सबमेरीन वारफेयर कार्वेट (एएसडब्लूसी) जैसे उपकरण अब ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ से जुड़ी परियोजनाओं का हिस्सा हैं।
आयात बिल को कम करने में हुई कितनी मदद
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए परियोजनाओं की स्थिति जानने के लिए लोकसभा सांसद अण्णासाहेब शंकर जोल्ले, तेजस्वी सूर्या, कराडी सनगन्ना अमरप्पा और प्रताप सिम्हा ने दस फरवरी को सवाल पूछा था। सांसदों ने जानना चाहा कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान कार्यक्रमों के तहत रक्षा क्षेत्र में शुरू की गई परियोजनाओं का ब्यौरा क्या है। इन कार्यक्रमों ने आयात बिल को कम करने में क्या मदद की है। यदि हां तो कुल संख्या में व आयात के प्रतिशत हिस्से संबंधी तत्संबंधी ब्यौरा क्या है। क्या दोनों कार्यक्रमों ने रक्षा क्षेत्र में भारतीय निर्यात को बढ़ाने में भी मदद की है। रक्षा क्षेत्र में वर्ष 2023 और 2024 के लिए विनिर्माण, निर्यात और आयात के क्या लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। क्या उक्त उद्देश्य के लिए शुरू की गई सभी परियोजनाएं लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तैयार हैं। अब तक उन योजनाओं में कितनी प्रगति हुई है।
इतनी लंबी हो चुकी है स्वदेशी उपकरणों की सूची
रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री अजय भट्ट के मुताबिक, विगत कुछ वर्षों के दौरान देश में 155 एमएम आर्टिलरी गन प्रणाली ‘धनुष’, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’, सर्फेस टू एयर मिसाइल प्रणाली ‘आकाश’, मेन बैटल टैंक ‘अर्जुन’, टी-90 टैंक, टी-72 टैंक, आर्मर्ड पर्सनल कैरियर बीएमपी-11/11के’, एसयू-30 एमके1, चीता हेलिकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर, डोर्नियर डीओ-228 और हाई मोबिलिटी ट्रक तैयार होने लगे हैं। इनके अलावा आईएनएस कलवारी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस चेन्नई, एंटी-सबमेरीन वारफेयर कार्वेट (एएसडब्ल्यूसी), अर्जुन आर्मर्ड रिपेयर एंड रिकवरी व्हीकल, ब्रिजलेइंग टैंक और 155 एमएम अम्यूनिशन के लिए बाई-मॉडुलर चार्ज सिस्टम (बीएमसीएस) भी अब मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की परियोजनाओं का हिस्सा हैं।
स्वदेश में तैयार हो रहे वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट
मीडियम बुलेट प्रूफ व्हीकल (एमबीपीवी), वेपन लोकेटिंग रडार (डब्ल्यूएलआर), सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियोज (एसडीआर), पायलेटलेस टार्गेट एयर क्राफ्ट के लिए लक्ष्य पैराशूट, बैटल टैंक्स के लिए ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स साइट्स, वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट, इनशोर पेट्रोल वेसल, ऑफशोर पैट्रोल वेसल, फास्ट इंटर सेप्टर बोट, लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी और 25 टी टग्स, इत्यादि सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी स्वदेशी मुहिम के तहत आगे बढ़ रही हैं।
175000 करोड़ का रक्षा विनिर्माण प्राप्त करने का लक्ष्य
विदेशी स्रोतों से रक्षा खरीद संबंधी व्यय विगत चार वर्षों अर्थात 2018-19 से 2021-22 समग्र व्यय के 36 फीसदी हो गया है। भारत 75 से अधिक मित्र विदेशी देशों को रक्षा उपस्कर और कल पुर्जों का निर्यात करता है। पिछले पांच वर्षों के दौरान जारी किए गए अनुमोदनों का निर्यात मूल्य 2018-19 में 10746 करोड़ रुपये, 2019-20 में 9116 करोड़ रुपये, 2020-21 में 8435 करोड़ रुपये, 2021-22 में 12815 करोड़ रुपये और 2021-22 (7 फरवरी 2023 तक) में 10967 करोड़ रुपये रहा है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2024-25 तक 35000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात सहित 175000 करोड़ का रक्षा विनिर्माण प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जहां तक निर्यात लक्ष्यों का संबंध है, राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता किए बिना स्वदेशीकरण के माध्यम से प्रति वर्ष आयात को न्यूनतम करने पर जोर दिया गया है।