निर्माणाधीन राममंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की अचल मूर्ति किस पत्थर की बनेगी, इस पर अभी सहमति नहीं बन सकी है। शालिग्राम पत्थर पर रामलला की अचल मूर्ति बनेगी इसको लेकर संशय है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार शालिग्राम पत्थर पर छीनी-हथौड़ी नहीं चल सकती।
राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने भी एक चैनल को दिए गए साक्षात्कार में यह स्वीकारा है कि शालिग्राम पत्थर पर अचल मूर्ति बनाने में समस्या है। उन्होंने कहा कि शालिग्राम पर छीनी-हथौड़ी नहीं चलाई जा सकती, क्योंकि मान्यता है कि शालिग्राम स्वयं भगवान विष्णु हैं। ऐसे में अचल मूर्ति के लिए कर्नाटक, राजस्थान, उड़ीसा से पत्थर मंगाए जा रहे हैं। जल्द ही मूर्ति के लिए पत्थरों का चयन कर लिया जाएगा।
बताते चलें कि नेपाल की गंडकी नदी से एक फरवरी को दो पत्थर अयोध्या लाए गए हैं। इन्हें शालिग्राम पत्थर कहा जा रहा है। शालिग्राम पत्थर से मूर्ति बनाए जाने को लेकर विरोध भी हुआ था। जगतगुरु परमहंसाचार्य ने राममंदिर ट्रस्ट को एक पत्र सौंपकर अपना विरोध जताया था।
उत्सव मूर्ति के रूप पूजित-प्रतिष्ठित होगी वर्तमान मूर्ति
रामजन्मभूमि परिसर में स्थापित होने वाली अचल मूर्ति लगभग आठ फीट ऊंची होगी। फाउंडेशन के ऊपर कमल दल में रामलला विराजमान होंगे। उनके हाथ में छोटा तीर-धनुष भी होगा। ट्रस्ट सूत्रों ने बताया कि अचल मूर्ति के ठीक समक्ष वर्तमान पूजित-प्रतिष्ठित रामलला सहित चारों भाइयों की मूर्ति विराजित की जाएगी। इसे उत्सव मूर्ति के रूप में स्थापित किया जाएगा।
दिसंबर 2025 तक बन जाएगा राममंदिर
राममंदिर निर्माण का अब तक लगभग 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। अक्तूबर 2023 तक भूतल तैयार करने का लक्ष्य है। जनवरी 2024 में रामलला को गर्भगृह में विराजित कर दर्शन-पूजन शुरू करा दिया जाएगा। दिसंबर 2025 तक पूरा मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर निर्माण के लिए 350 मजदूर और कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं।