मुजफ्फरनगर। वैदिक संस्कार चेतना अभियान संयोजक आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि किसी मत, पंथ या संपद्राय से सनातन वैदिक धर्म की तुलना अनुचित है। सनातन संस्कृति संजीवनी है, जो प्रत्येक प्राणी को सद्कर्म के लिए प्रेरित कर मोक्षगामी बनाती है।
सरकुलर रोड स्थित संतोष विहार में वैदिक संस्कार चेतना केंद्र पर आर्य समाज नागोरी गेट, हिसार से पधारे भजनोपदेशक कर्मवीर आर्य का अभिनंदन किया गया। आचार्य गुरुदत्त आर्य ने उन्हें अंगवस्त्र और सम्मान राशि भेंट की। आचार्य ने कहा कि सनातन धर्म आदिकाल से है। वेद ईश्वरीय वाणी है, जो हमारी संस्कृति, सभ्यता, ज्ञान और विज्ञान का मूल स्रोत है। किसी भी मत, पंथ या संप्रदाय की सनातन धर्म से तुलना अनुचित है। सनातन संस्कृति हमें सत्य, न्याय, सदाचरण , त्याग, आदर्शता, मर्यादा, नैतिकता और देशभक्ति का संदेश देती है।
कल्याणकारी इंटर काॅलेज, बघरा के पूर्व प्रवक्ता गजेंद्र पाल सिंह ने कहा कि महर्षि दयानंद ने देश को धर्मांतरण से बचाया था। वेद प्रचारक आरपी शर्मा ने कहा कि पाखंड, अंधविश्वास और कुरीतियों को त्याग कर यज्ञ, योग और स्वाध्याय करें। पूर्व प्रधान आनंद पाल सिंह और मंगत सिंह आर्य ने महर्षि की महिमा बताई।
आर्य समाज गांधी काॅलोनी के संयोजक गजेंद्र सिंह राणा ने कहा कि युवा पीढ़ी सत्यार्थ प्रकाश, रामायण, गीता आदि ग्रन्थों को पढ़ें। भजनोपदेशक कर्मवीर आर्य ने प्रेरक भजन सुनाए। कार्यक्रम में स्वामी धर्म मुनि, पुष्पेंद्र कुमार, डॉ. नीरज शास्त्री, राजेंद्र प्रसाद, जनेश्वर प्रसाद आर्य आदि मौजूद रहे। प्रातः वेद मंत्रोच्चार से यज्ञ हुआ।