भारतीय संस्कृति का पावन उत्सव चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय नववर्ष नव संवत्सर 2080 प्रारम्भ होने जा रहा है। 22 मार्च को पहला नवरात्र है। जयपुर में इसके स्वागत के लिए 20 मार्च से 10 दिवसीय नव संवत्सर उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। संस्कृति युवा संस्था और नव संवत्सर उत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा ने बताया कि 20 मार्च से 30 मार्च तक 10 दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम नव संवत्सर उत्सव के रूप में आयोजित किए जाएंगें। जिसमें 20 मार्च को नव संवत्सर के स्वागत के लिए 4 सफेद अश्व (घोड़े) छोड़े जाएंगे। ये घोड़े वास्तु के अनुसार 8 दिशाओं में ईशान में खोले के हनुमानजी मंदिर, पूर्व में गलता, आग्नेय में गोनेर मंदिर, दक्षिण में सांगा बाबा, नैऋत्य में स्वामी नारायण मंदिर, पश्चिम में हाथोज हनुमान जी, वायव्य में कदम्ब डूंगरी और उत्तर में आमेर में काले हनुमानजी मंदिर लिए छोडे जाएंगे और नव संवत्सर का अनूठे तरीके से प्रचार-प्रसार करेगें।
भारतीय नव संवत्सर का प्रचार करेंगे सफेद घोड़े
भारतीय संस्कृति और नव संवत्सर का प्रचार करने के लिए ये सफेद घोड़े जयपुर शहर के सभी प्रमुख स्थानों से होते हुए मंदिरों में जाएंगे। पंडित सुरेश मिश्रा ने बताया कि एक जमाने में अश्व छोड़ने की परम्परा थी। जिसके माध्यम से राजा-महाराजा अपने साम्राज्य का विस्तार करते थे। लेकिन हम जयपुर में यह अनूठा और अद्भुत आयोजन इसलिए कर रहे हैं कि जयपुर की लगभग पूरी आबादी को नव संवत्सर के प्रति जागरूक किया जा सके। इस बहाने युवाओं में जागरुकता आएगी।
संत-महंत पूजन कर ताड़केश्वर मंदिर से रवाना करेंगे सफेद घोड़े
नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के संयोजक पं. देवीशंकर शर्मा ने बताया कि इन सभी सफेद घोड़ों को चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर से सुबह 10 बजे रवाना करेगें। इनका विधिवत पूजन वैदिक रीति से किया जाएगा और विभिन्न मंदिरों के संत- मंहत उनकी आरती उतारकर रवाना करेंगे। ये अश्व (घोड़े) 4 दिन तक आठों दिशाओं में जब घूमेंगें, तो इनके साथ में समिति के कार्यकर्ता पेम्फलेट बांटते हुए चलेंगे।साथ ही इन अश्वों पर बैनर लगे होंगे।जिन पर ‘नवसंवत्सर 2080 मंगलमय हो,’ ‘नवसंवत्सर 2080 की हार्दिक शुभकामनाएं’ लिखा होगा। विशेषकर युवाओं से आग्रह करेंगे कि भारतीय नव संवत्सर को धूमधाम से आयोजित करें। साथ ही इस बार एसएमएस, व्हाट्सअप मैसेज, होर्डिंग-बैनर लगाकर पूरे जयपुर शहर में लोगों से आग्रह करेंगे कि नव संवत्सर की बधाइयां दें। 22 मार्च को जयपुर के प्रमुख मंदिरों में घंटे-घडियाल बजाकर नवभोर का स्वागत होगा और शाम को गोविन्द देवजी के मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जाएगा।
वेस्टर्न कल्चर में 1 जनवरी को मनाया जाता है न्यू ईयर
पं. देवी शंकर शर्मा ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के हिसाब से नववर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है। लेकिन भारतीय युवाओं का अपनी संस्कृति और संस्कारों से परिचय हो,इसलिए इस बार के आयोजन में युवाओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए इसका प्रचार किया जा रहा है। इसके लिए ‘‘नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति’’ का भी गठन किया गया है। ये समिति जयपुर शहर में विभिन्न मंदिरों में 20 मार्च से 30 मार्च तक विशेष पूजन और दीप आरती का आयोजन भी करेगी।