सपा व निषाद पार्टी के पूर्व विधायक विजय मिश्र के भतीजे एवं डीघ ब्लॉक प्रमुख मनीष मिश्र को कोर्ट से राहत मिली है। युवती से दुष्कर्म के मामले में मनीष मिश्र और उसके एक सहयोगी को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। भदोही कोर्ट में पीड़िता की ओर से दिए गए बयान के आधार पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने यह निर्णय दिया है।
जमानत मिलने के बाद भी मनीष मिश्र को जेल में ही रहना होगा। दुष्कर्म, गैंगस्टर सहित आधा दर्जन मुकदमे में करीब डेढ़ साल से ब्लॉक प्रमुख जेल में है। मनीष मिश्र ने अपने अधिवक्ता अजय दूबे, रमेश कुमार तिवारी, जबकि सुरेश केसरवानी ने अधिवक्ता शशि भूषण मिश्रा और रितुकर गुप्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था।
पीड़िता ने कोर्ट में बदला अपना बयान
इसमें भदोही कोर्ट में 24 फरवरी 2023 और 10 मार्च 2023 को पीड़िता के बयान से पलटने और साजिश का भी जिक्र किया था। कोर्ट ने मनीष मिश्र और सुरेश केसरवानी की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए दो जमानतदारों के व्यक्तिगत बंधपत्र पर रिहा करने का आदेश दिया।
इस मामले में मनीष की ओर से कहा गया कि राजनैतिक विरोधियों ने फंसाने के लिए षडयंत्र के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। युवती ने लगातार बयान बदले हैं। युवती ने ट्रायल कोर्ट में राजनीतिक विरोधी और उसके गनर के दबाव में आरोप लगाने व बयान देने की बात स्वीकार करते हुए घटना न होने का बयान दर्ज कराया था।पीड़िता ने साल 2019 की घटना बताते हुए दिसंबर 2021 में मुकदमा दर्ज कराया। प्रयागराज जिले की महिला ने सुरेश केसरवानी, मनीष मिश्र सहित चार के खिलाफ दिसंबर 2021 में दुष्कर्म, दलित उत्पीड़न सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। हालांकि अन्य मुकदमे के कारण ब्लॉक प्रमुख को अभी जेल में रहना पड़ेगा।