प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दूसरे लोकतंत्र शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत वास्तव में लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र सिर्फ एक ढांचा नहीं है, यह एक आत्मा भी है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर इंसान की जरूरतें और आकांक्षाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। भारत में हमारा मार्गदर्शक दर्शन सबका साथ, सबका विकास’ है – जिसका अर्थ है ‘समावेशी विकास के लिए एक साथ काम करना’। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज अनेक वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यह स्वयं विश्व में लोकतंत्र के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है।
‘समिट फॉर डेमोक्रेसी, 2023’ को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की हर पहल भारत के नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से संचालित होती है। लोकतंत्र शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण की सह-मेजबानी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, कोस्टा रिका के राष्ट्रपति रोड्रिगो चावेस रॉबल्स, जाम्बिया के राष्ट्रपति हाकाइंडे हिचिलेमा, नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने की। सम्मेलन का आयोजन दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून-सुक-योल ने किया है।
सम्मेलन का मकसद लोकतंत्र को अधिक जवाबदेह और लचीला बनाना तथा वैश्विक लोकतांत्रिक प्रणाली को नया रूप देने के लिए साझेदारी का वातावरण तैयार करना है। सम्मेलन में मुख्य तीन बिन्दुओं पर विचार-विमर्श होगा। ये हैं- लोकतंत्र को मजबूत करना और अधिनायकवाद से बचाना, भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई तथा मानवाधिकारों के प्रति सम्मान।
पीएम मोदी ने कहा कि चाहे जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से लड़ने का भारत का प्रयास हो, वितरित भंडारण के माध्यम से जल संरक्षण हो या सभी को स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन प्रदान करना हो, हर पहल यहां के नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से संचालित होती है। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की प्रतिक्रिया लोगों द्वारा संचालित थी। देश की ‘टीका मैत्री’ पहल ‘वसुधेव कुटुम्बकम’ के मंत्र से भी निर्देशित है, जिसका अर्थ है ‘एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य’।