आधुनिक चिकित्सा डॉक्टर कल देश भर में करीब 10,000 से अधिक सार्वजनिक स्थलों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। ये प्रदर्शन केंद्रीय चिकित्सा परिषद की ओर से जारी अधिसूचना के खिलाफ किया जा रहा है। इस अधिसूचना के तहत स्नातकोत्तर आयुर्वेद सर्जरी के छात्रों को भी आधुनिक चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं का अध्ययन करने और अभ्यास करने की मंजूरी दी गई है। इसी वजह से आधुनिक चिकित्सा डॉक्टर नाराज हैं।
एम्स रेजीडेंट चिकित्सक संघ (आरडीए) ने सोमवार को भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद की अधिसूचना को वापस लिए जाने की मांग की जिसमें स्नातकोत्तर आयुर्वेद चिकित्सकों को जनरल सर्जिकल प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया गया है। आरडीए ने कहा कि इससे ‘नीमहकीमी’ बढ़ेगी और यह लोगों की सेहत के लिए खतरनाक होगा। भारतीय आयुर्विज्ञान संघ (आईएमए) ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति में काम कर रहे सभी डॉक्टरों से नये नियमों के विरोध में 11 दिसंबर को गैर-जरूरी तथा गैर-कोविड सेवाएं रोकने का आह्वान किया है। संघ ने कहा कि आईसीयू तथा सीसीयू समेत आपातकालीन सेवाएं यथावत चलेंगी।
आरडीए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को लिखे पत्र में चिकित्सा की ‘विधाओं को मिलाने पर आपत्ति जताई है और कहा कि इससे आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता है, जो घातक साबित हो सकता है। उसने कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति काफी अनुसंधान के बाद समय के साथ विकसित हुई है। एम्स आरडीए ने कहा, ”आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की यह यात्रा आयुर्वेद से पूरी तरह अलग है। इसलिए विभिन्न विधाओं की अधूरी जानकारी रखने वाले डॉक्टरों द्वारा हमारे मरीजों का इलाज करना ना तो वैध है और ना ही सुरक्षित है।