राजस्थान में रिकॉर्ड सर्वाधिक बार ट्रेंकुलाइज हुआ था बाघ चीकू

रणथम्भौर का खूंखार बाघ टी-104 रणथम्भौर के राजस्थान में सर्वाधिक बार ट्रेंकुलाइज किए जाने वाला बाघ भी था। वन विभाग की ओर से टी-104 चीकू को कुल छह बार टे्रकुंलाइज किया गया था। यह रणथम्भौर सहित प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में किसी एक बाघ बाघिन को उसके जीवन काल में ट्रेंकुलाइज करने का रिकॉर्ड है। इसके बाद रणथम्भौर की बाघिन एमटी-4 का बाघिन लाइटनिंग का नाम आता है। इसे भी इसके जीवन काल में छह बार ही ट्रेंकुलाइज किया गया था। आपको बता दे कि अब इन दोनों की मौत हो चुकी है। लाइटनिंग ने भी पिछले दिनों कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में दम तोड़ दिया था। वहीं बाघ टी-104 चीकू ने मंगलवार रात सज्जनगढ़ ने दम तोड़ दिया।

वन्यजीव विशेषज्ञों की माने तो बाघ या बाघिन को ज्यादा ट्रेंकुलाइज करने से उसके शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। ट्रेंकुलाइज करने के लिए दिए जाने वाले इनजेक्शन से बाघ बाघिन के शरीर में अचानक गर्मी बढ़ जाती है। जिससे उसके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। शरीर में गर्मी बढ़ने से बाघ बाघिन को खतरे का अंदेशा रहता है। वन्यजीव विशेषज्ञ के अनुसार बाघ बाघिन को गर्मी के समय ट्रेंकुलाइज करने पर अनहोनी की आशंका रहती है। ऐसे में वन्यजीव विशेषज्ञ के अनुसार गर्मी के दौरान बाघ बाघिनों को ट्रेंकुंलाइज करने से बचते की सलाह देते हैं। हालांकि विशेष परिस्थितियों में गर्मी के दौरान भी बाघ-बाघिनों को ट्रेकुंलाइज किया जाता है।

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार टी-104 ने सबसे पहले 2 फरवरी 2019 को कुण्डेरा के पाडलीगांव में शौच करने गई महिला मुन्नी देवी को अपना शिकार बनाया था। इसके बाद बाघ एक सरसों के ख्रेत में चला गया था। तब पहली बार वन विभाग ने बाघ चीकू को ट्रेंकुलाइज किया था। इसके बाद बाघ रणथम्भौर से एक बार धौलपुर की ओर निकल गया था। इस दौरान वन विभाग की ओर से बाघ को ट्रेंकुलाइज करके वापस रणथम्भौर लाया गया था। इसके बाद बाघ ने रणथम्भौर टाइगर 2nd डिविजन करौली के कैलादेवी सेंचुरी के दुर्गेशी घाटी में 30 जुलाई 2019 को चरवाहा रूपचंद माली को अपना शिकार बनाया था। इसके बाद एक बार फिर वन विभाग बाघ को ट्रेंकुलाइज करके रणथम्भौर लाया था। इस समय बाघ को बालास वन क्षेत्र में छोड़ा गया था। इसके बाद फिर से बाघ टी-104 ने 12 सितम्बर 2019 सपोटरा के सिमिर बाग गांव में खेत पर स्थित घर में सोते समय 26 साल के पिंटू माली को घर में घुसकर मौत के घाट उतार दिया था। इस समय फिर वन विभाग की टीम ने एक बार फिर बाघ को ट्रेंकुलाइज किया और बाघ रणथम्भौर लाया गया।

बाघ को 18 सितम्बर 2019 ट्रेंकुलाइज कर रणथम्भौर के भिड़ नाका स्थित एनक्लोजर में शिफ्ट कर दिया था। वन विभाग की ओर से कोरोना काल में 2020-21 में एक बार फिर एनक्लोजर में घास काटने और बाघ के रेडियो कॉलर को ढीला करने के लिए बाघ को ट्रेंकुलाइज किया गया। इसके बाद वन विभाग की ओर से 9 मई 2023 को बाघ को रणथम्भौर से उदयपुर के सज्जनगढ बॉयोलोजिक पार्क में शिफ्ट करनें के लिए ट्रेंकुलाइज किया गया।

टी-104 के बाद सबसे अधिक बार बाघिन MT-4 लाइटनिंग को ट्रेंकुलाइज किया गया। सबसे पहले बाघिन लाइटिंग को अप्रेल 2019 में रणथम्भौर के आमाघाटी वन क्षेत्र में रणथम्भौर से कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने के लिए ट्रेंकुलाइज किया गया था। इसके बाद अगस्त 2020 में लाइटनिंग लापता हो गई थी। जिसके बाद रणथम्भौर से गई टीम ने बाघिन को खोजा था।

जब टीम को बाघिन मिली तो उसे पैरो में चोट थी ऐसे में उपचार के लिए बाघिन को 6 सितम्बर 2020 को ट्रेंकुंलाइज किया गया था। उपचार के बाद बाघिन ठीक नहीं हुई तो 26 सिम्बरर 2020 को एक बार फिर से बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर अभेडा बॉयोलोजिकल पार्क में ले जाया गया। जहां बाघिन को 6 अक्टूबर 2020 को बाघिन को एनक्लोजर में शिफ़्ट करने के लिए ट्रेंकुलाइज किया गया था। इसके बाद हाल ही में बाघिन को 2 मई 2023 को टेंकुलाइज कर बाघिन का उपचार किया था, लेकिन बाघिन ठीक नहीं हुई तो 4 मई 2023 को बाघिन को उपचार के लिए एक बार फिर टे्रकुंलाइज किया गया और बाघिन की मौत हो गई।

यह सही है कि बाघ-बाघिन को बार-बार ट्रेंकुलाइज नहीं करना चाहिए। इससे बाघ-बाघिन की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। गर्मी में भी ट्रेंकुलाइज करने से परेशानी हो सकती है। जहां तक संभव हो किसी भी बाघ-बाघिन को बार-बार ट्रेंकुलाइज करने से बचना चाहिए। खासकर गर्मी में ट्रेंकुलाइज नहीं करना चाहिए

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