मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए त्रिस्तरीय दृष्टिकोण पर काम कर रही सरकार

मणिपुर में स्थायी शांति बहाल करने के लिए केंद्र मैतेई और कुकी समुदायों के बीच त्रिस्तरीय रणनीति पर काम कर रहा है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। संकटग्रस्त राज्य का दौरा कर रहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि हिंसा तुरंत खत्म होनी चाहिए और पूर्वोत्तर राज्य में जल्द से जल्द शांति बहाल की जानी चाहिए।  

घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए त्रि-स्तरीय रणनीति पर काम कर रही है। इनमें प्रभावित लोगों के साथ बातचीत करना और उन लोगों का पुनर्वास करना शामिल है जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा है। इसके अलावा रणनीति के तहत सुरक्षा बढ़ाने व विद्रोहियों पर नियंत्रण किया जाएगा। 

सूत्रों ने कहा कि सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भरोसा पैदा करना है। इसलिए केंद्र मणिपुर में समाज के हर वर्ग तक पहुंचने के सभी प्रयास कर रहा है और उन्हें स्थायी शांति के लिए एक साझा बिंदु पर लाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस बात को लेकर चिंता है कि कई उग्रवादी अपने तय शिविरों से दूर चले गए हैं और उन्हें वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा बल सभी समुदायों के सदस्यों से यह भी कह रहे हैं कि यदि उनके पास हथियार हैं तो उन्हें सौंप दें। मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के जिन प्रभावित लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया गया था, वे अपने घरों में लौटना चाहते हैं। सूत्रों ने बताया कि प्रशासन को निर्देश दिया जा रहा है कि उन्हें सुरक्षित माहौल मुहैया कराए ताकि वे अपना सामान्य जीवन फिर से शुरू कर सकें। शाह समाज के सभी वर्गों से बात कर रहे हैं और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।

गृह मंत्री ने कहा है कि मणिपुर की शांति और समृद्धि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अधिकारियों को शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया है। पूर्वोत्तर राज्य में तीन मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जब शाह मणिपुर का दौरा कर रहे हैं। तब से राज्य में छिटपुट हिंसा हो रही है। अधिकारियों के अनुसार झड़पों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।

हिंसा पहली बार तब भड़की जब तीन मई को राज्य के पहाड़ी जिलों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया। हिंसा से पहले कुकी समुदाय के ग्रामीणों को आरक्षित वन भूमि से बेदखल करने को लेकर तनाव पैदा हो गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here