गाजियाबाद में जल निगम की लापरवाही का खामियाजा यहां सैंकड़ों लोगों को भुगतना पड़ा है. उत्तर प्रदेश जल निगम के सप्लाई किए गए दूषित पानी के इस्तेमाल से सैंकड़ों लोग बीमार हो गए हैं. इंदिरापुरम में एंजेल मर्करी सोसाइटी के निवासियों ने यूपी जल निगम पर यह आरोप लगाया है कि उनके द्वारा सप्लाई किया जा रहा पानी गंदा है, जिसे पीने से सोसाइटी के लगभग 100 लोग बीमार हो गए हैं.
लोगों ने कहा कि पानी के इस्तेमाल के बाद वे पिछले तीन दिनों से उल्टी और अपच जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं. कुछ निवासियों के शिकायत किए जाने के तुरंत बाद निवासियों के कल्याण संघ ने सप्लाई किए गए पानी का इस्तेमाल करना बंद कर दिया. इस इलाके के एक निवासी, जिसका पूरा परिवार ही इस पानी को पीने से बीमार हो गया है, ने कहा कि इस सोसाइटी में लगभग 1,500 लोग रहते हैं और उनमें से लगभग 100 लोग बीमार हो गए हैं.
‘लोगों ने व्हाट्सएप ग्रुप पर की थीं शिकायतें’
एक स्थानीय निवासी वीके शर्मा ने कहा कि तीन दिन पहले हमारी सोसाइटी का व्हाट्सएप ग्रुप लोगों की अपच, उल्टी और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं (पेट से संबंधित बीमारियां) की शिकायत के मैसेजेस से भर गया. उन्होंने कहा, “शुरू में हमें इसकी असली वजह समझ नहीं आ रही थी. लोगों ने बताया भी था कि ऐसा गंदा पानी पीने की वजह से हो रहा है, लेकिन हमने सोचा कि यह फूड पॉइजनिंग का मामला हो सकता है. हालांकि, हमने जल्द ही महसूस किया कि लोगों के इस्तेमाल किए जा रहे पानी से दुर्गंध आ रही थी और अगले दिन पानी का रंग पीला हो गया था.”
जल बोर्ड ने बताई गंदे पानी की यह वजह
वहीं, जल बोर्ड के एक लाइनमैन ने कहा कि पानी के दूषित होने की वजह वह नई पाइपलाइन हो सकती है, जो एक साल पहले पानी की सप्लाई के लिए बिछाई गई थी, लेकिन तब से इस्तेमाल में नहीं ली गई थी. पिछले हफ्ते, उसी पाइपलाइन को चालू किया गया था और हो सकता है कि पानी, सीवेज के साथ मिलकर सोसाइटी के टैंक में पहुंचता होगा और इसी वजह से पानी गंदा हो गया होगा.
‘पानी को सोसाइटी के टैंक में किया जाता है स्टोर’
एंजेल मर्करी सोसाइटी के सचिव (Society Secretary) अवनीश झा ने इस मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए कहा, “हम यूपी जल निगम के सप्लाई किए गए पानी को सोसाइटी के ओवर-हेड टैंक में स्टोर करते हैं. चूंकि हमारे पास केंद्रीकृत RO प्लांट (Centralized RO plant) है, इसलिए कई लोग अपने घरों में अपना वाटर फिल्टर RO का इस्तेमाल नहीं करते हैं.” उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले यहां के लोगों ने लगभग 60,000 लीटर दूषित पानी का इस्तेमाल किया है, लेकिन स्थानीय लोगों के बार-बार कहने के बाद भी विभाग ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
सेक्रेटरी ने जल निगम पर लगाया आरोप
अवनीश झा ने कहा कि इस सोसाइटी में लगभग 450 फ्लैट हैं, इसलिए यहां एक गंभीर स्वास्थ्य सुरक्षा का मुद्दा खड़ा हो सकता है. उन्होंने कहा कि हमने पानी के गंदे होने के लेवल का पता लगाने के लिए उसका सैंपल एक प्राइवेट लैब में भिजवाया है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है.
उन्होंने कहा कि ‘नई पाइपलाइन में पानी छोड़ा गया था जो लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं किया गया था और इसे चालू करने से पहले यूपी जल निगम ने इससे निकलने वाले कचरे को बाहर निकालने के बारे में भी नहीं सोचा. बजाय सफाई करवाने के वे सीधे ही हमारे घरों में पानी की सप्लाई करते रहे.’ उन्होंने कहा कि यह मात्र गलती नहीं, बल्कि एक गंभीर अपराध है और इसके पीछे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
यूपी जल निगम ने सड़क निर्माण पर मढ़ा दोष
वहीं, यूपी जल निगम के एक अधिकारी ने सारा दोष CISF सड़क पर चल रहे निर्माण कार्य पर डाल दिया. उन्होंने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि CISF रोड पर चल रहे निर्माण कार्य की वजह से गंगा जल पानी की पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई होगी, जिससे सीवर का पानी हमारे द्वारा सप्लाई किए जा रहे पानी के साथ मिल गया होगा. हालांकि, हम इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं और फ़िलहाल हालात कंट्रोल में हैं.