मुजफ्फरनगर। किसान दिवस में यूरिया खाद की कमी, भैसाना चीनी मिल के गन्ना भुगतान, विद्युत निगम में भ्रष्टाचार, खेतों को पानी नहीं मिलने का मुद्दा गूंजा। किसानों ने अफसरों के सामने अपनी परेशानी रखी। किसानों ने कहा कि गन्ना भुगतान नहीं तो बिजली के बिलों के रुपये भी नहीं मांगने चाहिए।
जिला पंचायत सभागार में किसानों ने आरोप लगाया कि प्राइवेट दुकानदार पीओएस मशीनों के माध्यम से खाद नहीं दे रहे हैं। साधन सहकारी समितियों पर 31 मई से खाद का संकट हैं। इस पर एआर कॉआपरेटिव रत्नाकर ने कहा कि जनपद में खाद का बड़ा स्टॉक है। सभी समितियों पर खाद पहुंच चुका है। इस समय संकट जैसी कोई स्थिति नहीं है।
भाकियू जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा सहित कई किसानों ने भैसाना चीनी मिल के भुगतान का मुद्दा उठाया। किसानों ने कहा कि जब सरकार अपने पैसे पर ब्याज लेती है तो मिल से भी किसानों को बकापा भुगतान पर ब्याज दिलाया जाएं। जब तक भुगतान नहीं होता तब तक बिजली के बिल आदि का किसान से भुगतान न लिया जाएं।
किसानों ने बिजली विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। कनेक्शन देने से लेकर काटने तक में पैसा मांगे जाने की शिकायत की। सीकरी के किसानों ने कहा कि उनके क्षेत्र घोषणा के हिसाब से पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है।
भाकियू नेता विकास शर्मा ने कसियारा गांव में दो बेटों की करंट से मौत और परिवार के सदस्यों को संविदा पर नौकरी नहीं मिलने का मामला उठाया। एडीएम प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह, एडीएम वित्त गजेंद्र कुमार, उप निदेशक कृषि जसवीर सिंह तेवतिया, बिजली, गन्ना, सिंचाई, कॉपरेटिव के अधिकारी मौजूद रहे। किसानों से सभागार पूरी तरह खचाखच भरा रहा।
सीडीओ बताए कब बनेगा पुल
भाकियू नेता विकास शर्मा ने कहा कि गांव सिकंदरपुर के लोग मृतकों का अंतिम संस्कार के लिए नदी पार कर दूसरी तरफ जाते हैं। सीडीओ ने छह माह से जनता की समस्या का निदान नहीं कर रहे हैं। आरोप लगाया कि जब उनके पास समस्या के निराकरण के लिए जाते हैं तो संतोषजनक जवाब नहीं मिलता। एडीएम प्रशासन नरेंद्र बहादुर ने मौके का निरीक्षण किए जाने का आश्वासन दिया।
एनएच की निर्माण कंपनी पर मुकदमा क्यों नहीं
भाकियू अराजनीतिक के जिलाध्यक्ष अंकित सिंह ने कहा कहा कि पीनना से रामपुर तिराहे तक जाने वाले नेशनल हाइवे की निर्माण कंपनी ने सिंचाई विभाग का पानी ही बंद कर दिया। एनओसी भी नहीं ली गई। डीएम ने कंपनी पर मुकदमा दर्ज कराने की बात कही थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 100 से अधिक किसानों के खेतों में पानी नहीं जा पा रहा है।