विपक्षी बैठक: अध्यादेश के मुद्दे पर अड़े केजरीवाल, उमर अब्दुल्ला बोले- 370 पर तो समर्थन नहीं मिला

बिहार की राजधानी में विपक्षी दलों की बैठक चल रही है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, जदयू, राजद, तृणमूल जैसे 15 दल भाजपा को रोकने की रणनीति पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। इस बैठक में मौजूद नेताओं ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश के मुद्दे पर विपक्षी दलों से समर्थन मांगा, लेकिन एक दल ने इस पर पलटवार कर दिया।

दरअसल, केंद्र सरकार ने मई में एक अध्यादेश जारी किया था। यह अध्यादेश कहता है कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति में आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा। आम आदमी पार्टी इसका पुरजोर विरोध कर रही है। इसी सिलसिले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, स्टालिन, सीताराम येचुरी जैसे नेताओं से पिछले दिनों मुलाकात कर समर्थन मांग चुके हैं।

शुक्रवार को जब पटना में इस बैठक के लिए अलग-अलग दलों के नेता जुटे तो चर्चा शुरू हुई। सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल ने इस बैठक में कहा कि केंद्र के लाए अध्यादेश का हम विरोध कर रहे हैं और बाकी दलों को इस मुद्दे पर हमारा समर्थन करना चाहिए। जैसे ही केजरीवाल ने यह बात कही, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एतराज जताया। उन्होंने कहा कि जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब तो आपकी पार्टी ने हमारा समर्थन नहीं किया था और संसद में सरकार का साथ दिया था।

2019 में हटाया गया था अनुच्छेद 370
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला किया था। तब कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसे दलों ने इसका विरोध किया था। वहीं, आम आदमी पार्टी, बसपा, अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस जैसे 10 से ज्यादा अलग-अलग दलों ने केंद्र सरकार का समर्थन किया था। 

केजरीवाल ने ट्वीट किया था, कांग्रेस ने साधा था निशाना
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 5 अगस्त 2019 को ट्वीट कर केंद्र के फैसले को सही बताया था और कहा था कि उम्मीद है कि इससे राज्य में शांति आएगी और विकास होगा। केजरीवाल के इस बयान पर कांग्रेस नेता अजय माकन ने पलटवार कर कहा था- AAP तो ऐसे ना थे।

आप प्रवक्ता बोलीं- राहुल और भाजपा के बीच समझौता हो गया
पटना में चल रही बैठक के बीच आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने चौंका देने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि विश्वस्त सूत्रों से हमें खबर मिली है कि राहुल गांधी और भाजपा के बीच समझौता हो चुका है। इतना मुश्किल क्या है उनके लिए? कांग्रेस को यह साफ करना चाहिए कि वह देश के संविधान के साथ खड़ी है या भाजपा के साथ है या दिल्ली की जनता के खिलाफ है?

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