देश में समान नागरिक संहिता को लेकर जबरदस्त चर्चा है। जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश में समान नागरिक संहिता को लेकर बयान दिया है, तब से इसकी चर्चा ने और भी जोर पकड़ लिया है। सत्ता पक्ष जहां इसे अपनी प्रतिबद्धता बता रहा है तो वहीं, विपक्षी दल दावा कर रहे हैं कि सरकार मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के मुद्दे उठा रही है। इन सबके बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे और अब डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बड़ा बयान दिया है।
UCC लागू करना आसान नहीं
गुलाम नबी आजाद ने साफ तौर पर कहा है देश में समान नागरिक संहिता को लागू करना इतना आसान नहीं रहेगा जितना कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना आसान रहा। उन्होंने दावा किया कि इसका सभी धर्म पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जितना आसान नहीं है। इसमें सभी धर्म हैं, केवल मुस्लिम ही नहीं, बल्कि इसमें सिख, ईसाई, आदिवासी, जैन और पारसी भी हैं। आजाद ने कहा कि एक ही समय में इतने सारे धर्मों को नाराज करना किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा। सरकार और इस सरकार को मेरी सलाह है कि उन्हें ऐसा कदम उठाने के बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में चुनाव की मांग
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2018 में जब विधानसभा भंग हुई थी, तब से हम इंतजार कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे। जम्मू-कश्मीर के लोग राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल होने का इंतजार कर रहे हैं…मतलब कि चुने हुए प्रतिनिधि विधायक बनें और वे सरकार चलाएं। क्योंकि लोकतंत्र में यह काम केवल चुने हुए प्रतिनिधि ही कर सकते हैं। दुनिया भर में या भारत के किसी भी हिस्से में ‘अफसर सरकार’ छह महीने से ज्यादा नहीं चल सकती।
मोदी ने क्या कहा था
नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया कि ‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’’ उन्होंने साथ ही कहा कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का उल्लेख है। उन्होंने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।’’ उन्होंने कहा, ये लोग (विपक्ष) हम पर आरोप लगाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि वे मुसलमान, मुसलमान करते हैं। अगर वे वास्तव में मुसलमानों के हित में (काम) कर रहे होते, तो मुस्लिम परिवार शिक्षा और नौकरियों में पीछे नहीं होते।”