मुजफ्फरनगर। श्रद्धा के पथ पर मासूम बच्चे भी कांवड़ उठाकर बढ़े जा रहे हैं। अधिकतर परिवार ऐसे हैं, जो मन्नत पूरी होने पर कांवड़ लेकर आए हैं। ऐसे परिवारों की खुशी का ठिकाना नहीं है। बच्चों के चेहरे पर यात्रा की थकान नहीं दिखती।
परिवार की सुख-शांति के लिए कांवड़ लाया लक्की
मुजफ्फरनगर। हरिद्वार से कांवड़ उठाकर अपने दादा राजबीर सिंह और चाचा कपिल के साथ नौ वर्षीय मासूम लक्की पुत्र विनोद कांवड़ लेकर शिव चौक पर पहुंचा। लक्की ने कहा कि वह अपने परिवार की सुख शांति के लिए कांवड़ लेकर आया है। शिव भक्त लक्की चाहता है कि वह खूब पढ़ लिखकर अफसर बनें। लक्की के दादा ने बताया कि वह छह साल की उम्र से ही उनके साथ कांवड़ लेकर आ रहा हैं। वह पुरा महादेव पर जलाभिषेक कर अपने घर गाजियाबाद लौट जाएंगे।
वीर लेकर आया कांवड़
पुरकाजी। गाजियाबाद निवासी महिला अनीता के साथ उसका पोता वीर कांवड़ लेकर आया है। हाईवे पर आगे बढ़ रही अनीता ने बताया कि यह उसकी 22वीं कांवड़ है। परिवार में सुख-शांति के लिएकांवड़ लाए हैं। शिव ने पोता दिया, इसकी भी खुशी है। गाजियाबाद का ही तरुण भी कांवड़ लाया है।
किसी से कम नहीं ये छोटे बच्चे
खतौली। मेरठ के लिसाड़ी निवासी शिवभक्त अंकित ने बताया कि वह अपनी नानी राजेंद्री के साथ कांवड़ लेकर हरिद्वार से मेरठ जा रहा है। यह उनकी नानी के साथ तीसरी कांवड़ है। बुलंदशहर निवासी बालक अर्जुन भी पूरी उमंग के साथ अपने अभिभावकों के साथ कांवड़ लेकर चल रहा है। कदम से कदम मिलाकर भोलनाथ के जयकारों के साथ चल रहे अर्जुन ने बताया कि यह उनकी दूसरी कांवड़ है। दिल्ली के कल्याणपुरी निवासी कांवडिए वंश, अरुण भी अपने परिजनों के साथ चल रहे हैं। इनके पीछे पीछे एक कार में सवार अन्य कांवडिया भी हैं। वंश व अरुण के परिजनों ने बताया कि उनके बच्चों की यह प्रथम कांवड़ है।