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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें पटना पुलिस की कार्रवाई मेें एक बीजेपी नेता की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिकाकर्ता और हस्तक्षेपकर्ताओं को अपनी शिकायतों और प्रार्थनाओं के साथ पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका खारिज कर दिया।

पीठ ने पूछा, ”उच्च न्यायालय के समक्ष क्यों नहीं जाते?” अदालत ने हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा कि उच्च न्यायालय के पास कथित पुलिस क्रूरता पर समीक्षा करने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इशारे पर बीजेपी द्वारा 13 जुलाई को आयोजित शांतिपूर्ण जुलूस को तितर-बितर करने के लिए पटना के गांधी मैदान में रैपिड एक्शन फोर्स सहित भारी पुलिस बल तैनात करके एक साजिश रची गई थी। 

इससे पहले, राज्य बीजेपी प्रमुख सम्राट चौधरी ने विपक्षी दलों के अन्य नेताओं के साथ बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को एक ज्ञापन सौंपकर पुलिस कार्रवाई और पार्टी की मौत की सीबीआई जांच या पटना उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की।

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