प्रधानमंत्री आवास योजना: सरकारी कागजों में मिल गया घर, छप्पर डालकर रहने को मजबूर

बरेली जनपद में वर्ष 2017 में जिनके पास रहने लायक आवास नहीं था, उनमें से तमाम लोग आज भी कच्चे घरों में पन्नी और छप्पर डालकर रह रहे हैं। ऐसे लोग वर्ष 2018 में तैयार हुई प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता सूची में भी शामिल हैं। कागजों में तो इन्हें पांच साल पहले ही घर मिल गया, लेकिन हकीकत में बनकर तैयार नहीं हुए। जब बारिश होती है तो इनके घर के सामान गलकर नष्ट हो जाते हैं। आंसुओं से अरमान भीग जाते हैं। 

करीब पांच हजार लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अदद घर का इंतजार कर रहे हैं। वर्ष 2018 की पात्रता सूची के आधार पर चयनित लोगों में ही 2258 को आवास नहीं मिला है। इसमें 2072 अल्पसंख्यक वर्ग हैं। 

वर्ष 2018 में पात्रता सूची में 16,364 व्यक्ति शामिल किए गए थे। इसमें 3739 अल्पसंख्यक, 8660 अनारक्षित वर्ग, 3812 अनुसूचित जाति और 153 जनजाति के थे। अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आवास मिल गए हैं। अल्पसंख्यक वर्ग के 2072 व अनारक्षित वर्ग के 181 पात्र वंचित हैं। 

जरूरतमंदों ने ये कहा 

जेड़ गांव की निवासी जुबैदा को पात्रता के बाद भी योजना का लाभ नहीं मिला। 7 अप्रैल 2023 को जुबैदा ने मुख्यमंत्री से शिकायत की। सैदापुर गांव की अनीता का कच्चा घर कभी भी गिर सकता है। प्रधानमंत्री आवास की पात्रता सूची में नाम नही है। खंड विकास अधिकारी का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की साइट खुलने पर नाम शामिल होगा।

गांव तिगराखानपुर की नैना सिंह के नाम आवास मंजूर हुआ। एक अन्य नैना सिंह नाम की महिला ने धनराशि हड़प ली। पीड़िता का आरोप है कि शिकायत पर जांच हुई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।  गांव सुल्तानपुर में इंद्रकली और नारायनदास झोंपड़ी में रहते हैं। पक्की छत के लिए वर्षों से इंतजार है। आरोप है कि सुविधा शुल्क न दिए जाने की वजह से आवास नहीं मिल सका।

जरूरतमंदों ने ये कहा 

जेड़ गांव की निवासी जुबैदा को पात्रता के बाद भी योजना का लाभ नहीं मिला। 7 अप्रैल 2023 को जुबैदा ने मुख्यमंत्री से शिकायत की। सैदापुर गांव की अनीता का कच्चा घर कभी भी गिर सकता है। प्रधानमंत्री आवास की पात्रता सूची में नाम नही है। खंड विकास अधिकारी का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की साइट खुलने पर नाम शामिल होगा।

गांव तिगराखानपुर की नैना सिंह के नाम आवास मंजूर हुआ। एक अन्य नैना सिंह नाम की महिला ने धनराशि हड़प ली। पीड़िता का आरोप है कि शिकायत पर जांच हुई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।  गांव सुल्तानपुर में इंद्रकली और नारायनदास झोंपड़ी में रहते हैं। पक्की छत के लिए वर्षों से इंतजार है। आरोप है कि सुविधा शुल्क न दिए जाने की वजह से आवास नहीं मिल सका।

बारिश से बेघर होने का खतरा, दीवारों पर दरारें पड़ीं 

नवाबगंज के मोहल्ला काहरान निवासी दिव्यांग कलावती के लिए बारिश भारी पड़ गई। मिटटी की दीवारों पर तिरपाल डालकर गुजारा कर रही हैं। तिरपाल भी फटा है। कलावती ने कई बार प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन किया पर आवास नहीं मिला। बारिश ने उन्हें खुले में रहने के लिए मजबूर कर दिया। 

नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी शैलेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि कलावती का आवेदन प्राप्त हुआ है। उनके फिंगर प्रिंट, आधार कार्ड से मैच नहीं हो रहे हैं। उनकी जगह बेटे का भी आवेदन कराया है। जल्दी आवास दिलाएंगे। 

इस समय नए आवेदन नहीं हो रहे हैं। जब प्रधानमंत्री आवास प्लस की साइट खुलेगी तभी नए आवेदन हो सकेंगे। तब तक पात्रों की सूची प्रत्येक विकास खंड में बनाई जा रही है। वर्ष 2018 की प्रतीक्षा सूची समाप्त हो और नया लक्ष्य मिले तो आवासों की जरूरत पूरी हो सके। – तेजवंत सिंह, परियोजना निदेशक, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, नोडल अधिकारी, प्रधानमंत्री आवास योजना

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