देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ में मल्टी टैलेंटेड चेहरे हैं। ये न केवल आतंकियों और नक्सलियों को सबक सिखाते हैं, बल्कि चुनावी ड्यूटी भी इतनी निष्पक्षता के साथ पूरी करते हैं कि विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय से सीआरपीएफ तैनात करने का आग्रह किया जाता है। अगर कहीं पर दंगा हुआ है तो वहां भी ज्यादातर अवसरों पर सीआरपीएफ ही पहुंचती है। आपदा के समय में भी यह बल पीछे नहीं रहता। बल के सहायक कमांडेंट ‘विभूति’ रतन शाह ने अब ‘मल्टी टैलेंटेड’ फोर्स की इस कड़ी को आगे बढ़ाया है।
सुकमा के जंगलों में कहीं बिजली गुल तो कभी इंटरनेट नहीं, नया कैंप स्थापित करना है, नक्सलियों से लोहा लेना है, इन सबके बीच समय निकालकर विभूति ने आईआईएम अहमदाबाद तक का सफर तय किया है। देश के इस प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लेने वाले सहायक कमांडेंट विभूति रतन शाह, सीआरपीएफ के दूसरे ऐसे अधिकारी बन गए हैं। बल की इजाजत से वे आईआईएम अहमदाबाद के 2023-24 सत्र के माध्यम से एक वर्षीय एमबीए ‘पीजीपीएक्स’ कोर्स कर रहे हैं।
‘कोबरा’ में रहते हुए आईआईएम की परीक्षा पास की
बता दें कि विभूति रतन शाह, सीआरपीएफ में सीधी भर्ती के जरिए सहायक कमांडेंट के पद पर भर्ती होने वाले बल के 50 वें बैच (2017) के अधिकारी हैं। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद विभूति की पहली पोस्टिंग, छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा में हुई। कुछ समय बाद वे सीआरपीएफ की गुरिल्ला रणनीति और जंगल युद्ध में प्रशिक्षित यूनिट ‘कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन’ (कोबरा) में चले गए। यहीं पर रहते हुए उनके दिमाग में आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए कोर्स करने की सोच जागी। हालांकि वहां पर ये टॉस्क बहुत मुश्किल था। वजह, वहां पर कई तरह की बाधाएं उनकी राह रोक रही थी। अब नौकरी तो फोर्स की थी और वो भी ‘कोबरा’ की है, पता नहीं कब कहां पर जाना पड़ जाए। नक्सलियों की मौजूदगी का कोई पुख्ता इनपुट मिला नहीं कि जंगल की तरफ यूनिट रवाना हो जाती है। इन सबके बीच विभूति ने परीक्षा की तैयारी शुरु की।
इंटरनेट और बिजली, ये तो गुल ही रहते थे
सुकमा में आने के बाद सहायक कमांडेंट ने जब ‘आईआईएम’ की तैयारी प्रारंभ की तो वहां कई बाधाओं ने उन्हें घेर लिया। इंटरनेट और पावर सप्लाई, दोनों ही गायब रहते थे। सुबह छह बजे ड्यूटी संभालने की तैयारी होती तो रात आठ-नौ बजे तक वापसी हो पाती। उस वक्त कभी इंटरनेट नहीं होता तो कभी बिजली गुल हो जाती। अगर इंटरनेट आ भी जाता तो उसकी स्पीड कछुआ गति से ज्यादा नहीं रहती थी। ऐसे में उन्होंने सुबह तीन बजे का समय चुना। उस वक्त इंटरनेट की स्पीड ठीक मिलती थी। बिजली तभी तक रहती, जब तक जनरेटर सैट चलता था। उसका भी कोई भरोसा नहीं कि कब तेल खत्म हो जाए। इस बीच आपरेशनल ड्यूटी पर भी जाना पड़ता। जंगल में परीक्षा की तैयारी, ये तो सोचना भी गलत था।
तैयारी के लिए ठीक से 100 दिन ही मिल सके
बतौर विभूति, पहले इस परीक्षा के लिए जनवरी से जुलाई तक तैयारी करने की योजना बनाई थी। शुरु के तीन महीने में चालीस दिन के लिए जंगल में एक कैंप स्थापित करना था। वहां जाना पड़ा। तीन महीने तो उसी में निकल गए। इसके बाद अप्रैल से तैयारी शुरु की। यूनिट के सीनियर अधिकारियों ने बहुत सहयोग किया। सुबह तीन बजे से छह बजे तक, लगभग 180 मिनट में आईआईएम की तैयारी होने लगी। अप्रैल से जुलाई 2022 तक तैयारी की। अगस्त में पेपर हुआ था। जब रिजल्ट आया तो चेहर खिल उठा। एक वर्षीय एमबीए ‘पीजीपीएक्स’ के 2023-24 बैच में दाखिला हो गया। विभूति रतन शाह का कहना है, सीआरपीएफ एक मल्टी टैलेंटेड बल है। दूसरे अधिकारी भी वहां तक पहुंच सकते हैं। सीएपीएफ के अंतर्गत आने वाले अन्य बलों में भी ऐसा ही टैलेंट है। अब तो सीआरपीएफ व दूसरे बलों में बीटेक/एमटेक आ रहे हैं। उनकी प्रतिभा का लाभ उठाया जाना चाहिए।