प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन के एक मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को मिली अग्रिम जमानत को बुधवार को चुनौती देते हुए दावा किया कि उन्होंने जमानत की शर्तों का पालन नहीं किया। ईडी के वकील ने कहा कि वह वाड्रा द्वारा जमानत की शर्तों के उल्लंघन को बताने वाला एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करेंगे। उन्होंने इसे अदालत के समक्ष रखने के लिए कुछ समय मांगा।
न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने ईडी को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और मामले को सितंबर में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। ईडी ने इससे पहले उच्च न्यायालय से कहा था कि वह वाड्रा को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहता है और आरोप लगाया था कि मामले में ‘धन के लेन-देन की कड़ियों’ का उनसे सीधा संबंध है। उसने यह भी दावा किया था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
वाड्रा लंदन में 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर पर 1.9 मिलियन पाउंड (17 करोड़ रुपये से अधिक) की संपत्ति खरीदने के मामले में धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहे हैं। धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मामले की जांच की जा रही है। वाड्रा के वकील ने ईडी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उनके मुवक्किल ने जांच में सहयोग किया और जब भी उन्हें तलब किया गया वह जांच एजेंसी के समक्ष पेश हुए।
उच्च न्यायालय एक निचली अदालत द्वारा एक अप्रैल,2019 को वाड्रा को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। वाड्रा ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनके (जांच में) सहयोग न करने का एक भी उदाहरण नहीं है। उन्होंने कहा कि सबूतों से छेड़छाड़ करने का कोई खतरा नहीं है क्योंकि एजेंसी पहले ही उनके पास से मामले से संबंधित हर दस्तावेज जब्त कर चुकी है। उन्होंने दावा किया था कि ईडी जांच कर रही है और उसके पास उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई सामग्री नहीं है।
धनशोधन रोधी एजेंसी के इस दावे के बारे में कि उनके भागने का खतरा है, वाड्रा ने अपने जवाब में कहा था,’ईडी द्वारा वाड्रा की जांच किए जाने संबंधी प्रेस रिपोर्ट पढ़ने के बाद विदेश से भारत लौटने में प्रतिवादी (वाड्रा) के आचरण ने यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया कि वाड्रा का देश से भागने का कोई इरादा नहीं था और वह भारत में रहने और नाम साफ करने के लिए प्रतिबद्ध थे। वाड्रा को अग्रिम जमानत देते हुए निचली अदालत ने उन्हें निर्देश दिया था कि वह बिना पूर्व अनुमति के देश से बाहर नहीं जाएं और जांच अधिकारी द्वारा बुलाए जाने पर जांच में शामिल हों।