15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 22 से 24 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग का दौरा करेंगे। इस बीच, भारत के ब्रिक्स शेरपा दम्मू रवि ने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ साक्षात्कार में बताया कि ब्रिक्स का विस्तार और राष्ट्रीय मुद्रा का उपयोग मंगलवार (22 अगस्त) से यहां शुरू होने वाले 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चर्चा के प्रमुख एजेंडे में शामिल हैं।
दम्मू रवि 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं और वर्तमान में विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) के रूप में कार्यरत हैं। दम्मू रवि ने कहा, शिखर सम्मेलन में कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें एजेंडे में ब्रिक्स का विस्तार और ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच व्यापार और आर्थिक गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय मुद्रा का उपयोग शामिल है। अधिकारी ने विस्तार से बताते हुए कहा कि ब्रिक्स विस्तार पर चर्चा पिछले दो साल से चल रही है।
आईएफएस अधिकारी ने कहा, पहले ऐसा कोई विचार नहीं था कि ब्रिक्स का विस्तार किया जाएगा। जैसे-जैसे 21वीं सदी में दुनिया बदल रही है, सभी विकासशील देशों ने मिलकर अपने एजेंडे का विषय और आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए ब्रिक्स के विस्तार का निर्णय लिया। रवि के मुताबिक, भारत इस काम में ‘रचनात्मक’ रहा है और हमने शेरपा स्तर पर पहली पहल की है। उन्होंने कहा, फिलहाल हम यह नहीं कह सकते कि कौन सा देश विस्तार का हिस्सा हो सकता है। सभी नेताओं और देश द्वारा गहन चर्चा के बाद यह तय किया जाएगा कि ब्रिक्स में किसे लाना है। विस्तार से पहले इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि शामिल होने वाले देश ब्रिक्स के विकास और विस्तार में सहयोग कर सके।
रवि ने कहा, जहां तक कारोबार में राष्ट्रीय मुद्रा को शामिल करने की बात है तो यह कोई नई बात नहीं है और यह पहले ही हो चुका है। अब अपनी राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापार करने का अवसर है। सभी ब्रिक्स देश मिलकर यह निर्णय लेंगे और चर्चा करेंगे कि वे इन ब्रिक्स देशों में अपनी राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापार कर सकते हैं। रवि ने कहा, भारत के दृष्टिकोण से विकास आयाम और मुद्दे जो वैश्विक दक्षिण के लिए बहुत महत्वपूर्ण और गंभीर हैं, 22-24 अगस्त को होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चर्चा का हिस्सा होंगे।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूरदर्शी नेतृत्व हमेशा इस बात पर जोर देता रहा है कि वैश्विक दक्षिण के लिए समाधान और चुनौतियों पर सामूहिक रूप से मिलकर काम करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना महामारी के बाद यह पहली बार है कि नेता व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं। तो, उस अर्थ में यह अत्यधिक महत्व और सार्थकता रखता है ताकि सभी नेता व्यक्तिगत रूप से मिल सकें।
यह पूछे जाने पर कि यह तीसरी बार है जब प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर रहे हैं और यह यात्रा भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच राजनयिक संबंधों की 30वीं वर्षगांठ का भी प्रतीक है। अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कई विचार हैं जिन पर ब्रिक्स बैठकों में चर्चा होनी है। पीएम मोदी 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं के साथ शामिल होंगे। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वर्चुअली बैठक में शामिल होंगे जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे।
पीएम मोदी “ब्रिक्स-अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस डायलॉग” विषय पर एक विशेष कार्यक्रम में भी भाग लेंगे। यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद आयोजित किया जाएगा और इसमें दक्षिण अफ्रीका द्वारा आमंत्रित दर्जनों देश शामिल होंगे, जिनमें ज्यादातर अफ्रीकी महाद्वीप के हैं।