ओउम् आदित्याय नमः

2 सितम्बर, 2023। श्रीहरिकोटा से सुबह 11.50 पर प्रक्षेपित आदित्य एल-1 सूर्य के अध्ययन के अपने मिशन पर सफलतापूर्वक सक्रिय हो गया। इसरो के जुझारू, कर्मठ, राष्ट्रभक्त वैज्ञानिकों को ढेरों बधाइयां। जो चन्द्रयान-3 की कामयाबी और शिवशक्ति स्थल के नामकरण पर माथा पीट रहे थे, भुवन भास्कर आदित्य एल-1 की सफल लांचिंग पर जरूर ही अनर्गल प्रलाप करेंगे क्योंकि हमारे ऋषि वैज्ञानिक तो सहस्रों वर्ष पूर्व सौर मंडल को शक्ति पुंज एवं असीम ऊर्जा का विराट पिंड बता चुके हैं।

हम मुजफ्फरनगर के मौहल्ला गाजीवाला में निवास करते हैं। इसके पूर्व में मुस्लिम बहुल मौहल्ला मल्हूपुरा और पश्चिम में लद्धावाला है। भले ही योगी जी ने अदालत के आदेश पर मंदिरों व मस्जिदों से लाउड स्पीकर उतरवा दिये हों लेकिन आज भी इन दोनों मौहल्लों की मस्जिदों से सूर्योदय से पहले आवाजें गूंजती है- ‘हजरात, सूरज निकलने का टैम हो रहा है। बीस मिनट बाद ही कज़ा की नमाज पढ़ें।’

यह प्रतिदिन का अटूट नियम है। इस्लाम के मानने वाले सूर्योदय पर नमाज पढ़ने से परहेज करते हैं। दूसरी ओर सूरज के उदित होने पर आर्यजन सूर्य नमस्कार करते हैं। सूर्य गायत्री का जप करते हैं- ‘ओउम् आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात” सनातनी सूर्य के 12 नाम लेकर जलार्पण करते हैं। यह है गंगा-जमनी संस्कृति का अद्भुत संगम। ऋग्वेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद में सूर्य संबंधी मंत्र हैं। ब्रह्माण में अनेक सूर्य बताये गए हैं- ‘सप्त दिशो नानासूर्या:।’ इसरो के वैज्ञानिकों ने आदित्य एल-1 को 15 लाख किलोमीटर की यात्रा पर भेजकर पुरातन भारतीय संस्कृति एवं वैदिक ज्ञान की विश्व को याद दिलाई है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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