राहुल बोले- चीन के खिलाफ वैकल्पिक मॉडल बनाने की जरूरत

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका, यूरोप और भारत को चीन के उत्पादन मॉडल के लिए एक वैकल्पिक व प्रतिस्पर्धी मॉडल बनाने की जरूरत है। वह अपनी यात्रा के दूसरे दिन ब्रसेल्स प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। 

राहुल गांधी यूरोप के लगभग एक सप्ताह के दौरे पर हैं, जिस दौरान वह यूरोपीय संघ (ईयू) के सांसदों, छात्रों और भारतीय प्रवासियों के साथ बैठकें करेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा, चीन ग्रह का एक विशेष दृष्टिकोण पेश कर रहा है। वह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के विचार को मेज पर रख रहा है। ऐसा करने की वजहों में एक यह है कि वह वैश्विक उत्पादन का केंद्र बन गया है। 

2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू की गई बीआरआई पहल पुराने सिल्क रोड व्यापार मार्ग के पुनर्निर्माण के जरिए चीन को यूरोप और उससे आगे जोड़ने की कल्पना करती है।उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हमारी तरफ से कोई वैकल्पिक दृष्टिकोण आ रहा है। उसके लिए एक लोकतांत्रिक माहौल में उत्पादन के लिए एक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

चीन ने मूल रूप से यह दिखाया है कि एक जबरदस्ती के माहौल में प्रभावी ढंग से उत्पादन करना संभव है, जहां आप लोगों को आजादी नहीं देते हैं, जहां आप उनकी स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करते हैं लेकिन आप उन्हें राजनीतिक आजादी के बिना समृद्धि प्रदान करते हैं।’इस बात पर जोर देते हुए कि हमारे लिए चुनौती यह है कि क्या हम एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं जहां हम राजनीतिक और आर्थिक आजादी के साथ लोकतांत्रिक परिस्थितियों में उत्पादन कर सकते हैं, राहुल ने कहा, ‘अमेरिका, यूरोप और हमारे बीच बहुत सहयोग हो सकता है और मुझे लगता है कि यही वह जगह है जहां हमारा बहुत ध्यान जाना चाहिए।

हम चीनी उत्पादन मॉडल का विकल्प कैसे बना सकते हैं जो एक जबरदस्ती उत्पादन मॉडल है।’ वह रूस-यूक्रेन युद्ध सहित बढ़ते वैश्विक तनाव के मद्देनजर अपनी अगली राजनीतिक प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। गांधी ने मार्च 2023 में कैम्ब्रिज की अपनी यात्रा के दौरान भी इसी तरह की टिप्पणी की थी। इससे पहले गुरुवार को राहुल ने कहा था कि उन्होंने यूरोपीय संसद (एमईपी) के कुछ सदस्यों के साथ बंद कमरे में बैठक की है।नई दिल्ली में 9-10 सितंबर को जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन होगा। राहुल गांधी के इसके समापन के बाद 11 सितंबर तक लौटने की उम्मीद है। भारत 30 से ज्यादा राष्ट्राध्यक्षों और अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी के साथ इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। 

राहुल गांधी ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण के बाद सोशल मीडिया पर देश के नाम को लेकर छिड़ी बहस सरकार की घबराहट भरी प्रतिक्रिया और ध्यान भटकाने की रणनीति है। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी उनकी पार्टी ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ की चिंता जताती है तो इस तरह के विवाद सामने आते हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से इस सप्ताहांत जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले विदेशी नेताओं को रात्रिभोज का निमंत्रण ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ के नाम से दिया गया है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है, जिसमें भाजपा नेता और विपक्ष से भिड़ते नजर आए और कई मशहूर और खेल हस्तियों ने भी विवाद खड़ा कर दिया।

पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (आई.एन.डी.आई.ए.) रखा है, जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतना परेशान कर दिया है कि वह देश का नाम बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे संविधान में जो नाम हैं, मैं उनसे पूरी तरह खुश हूं।’ यह पूछे जाने पर कि वह कौन सा नाम पसंद करते हैं, उन्होंने कहा, ‘इंडिया यानी भारत मेरे लिए पूरी तरह से सही लगता है। लेकिन मुझे लगता है कि ये घबराहट भरी प्रतिक्रियाएं हैं। सरकार में थोड़ा डर है। ये ध्यान भटकाने की रणनीति है।
 

उन्होंने कहा, ‘हम निश्चित रूप से अपने गठबंधन के लिए ‘इंडिया’ नाम लेकर आए थे, और यह एक शानदार विचार है क्योंकि यह दिखाता है कि हम कौन हैं, हम खुद को भारत की आवाज मानते हैं और इसलिए यह शब्द बहुत अच्छी तरह से काम करता है। लेकिन यह स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री को इतना परेशान कर रहा है कि वह देश का नाम बदलना चाहते हैं।’

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