जातिगत जनगणना पर आए आंकड़ों पर आगे क्या हो और इसपर कोई गतिरोध तो जनता के बीच नहीं जाएगा, इसपर विचार करने के लिए सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हो रही बैठक के दौरान भाजपा विशेष तौर पर अगड़ी जातियों और बनिया जाति के आंकड़ों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। जाति आधारित जनगणना में साथ रहे दलों के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक हो रही है। इसमें तमाम आंकड़ों को दिखाते हुए सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी उसकी व्याख्या कर रहे हैं।
भाजपा भ्रामक आंकड़े पर करेगी विरोध
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद घोषणा की थी कि सर्वदलीय बैठक के बाद तय करेंगे कि आगे किस तरह इसपर काम करेंगे। जातियों की गणना रिपोर्ट में अगड़ी जातियों और बनिया जाति के आंकड़े पर पूरे बिहार में अविश्वास का माहौल है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसे सबसे पहले सामने आकर भ्रामक बताया था। कायस्थों को 0.6 प्रतिशत और किन्नरों को नगण्य जैसा दिखाए जाने के कारण पूरे राज्य में गुस्से का माहौल है। भाजपा को आम लोगों की ओर से लगातार इसपर मैसेज मिल रहा है और माना जा रहा है कि इस बैठक में आज भाजपा विरोध जताएगी। सर्वदलीय बैठक के दौरान भाजपा उन आंकड़ों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में चिराग पासवान को आमंत्रित नहीं किया गया है।
विजय कुमार सिन्हा तब साथ थे, आज क्या कहेंगे
मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद में बैठक के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मौजूद हैं। जनता दल यूनाईटेड के प्रतिनिधि और राज्य सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी, पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी, सीपीआई एमएल के विधायक महबूब आलम, असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के इकलौते विधायक अख्तरुल ईमान, कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान, सीपीएम के अजय कुमार भी पहुंच चुके हैं। जातीय जनगणना के प्रस्ताव पर मुहर लगाते समय 2019 में राज्य की नीतीश कुमार सरकार में रही भारतीय जनता पार्टी की ओर से फिलहाल विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा पहुंच चुके हैं।
जातीय जनगणना का डाटा जारी करने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी होने के बाद राजनीतिक सियासत गरमा गई है। प्रदेश में अत्यंत पिछड़े वर्ग की भागीदारी 36.014 8% बताई गयी है जबकि पिछड़ा वर्ग 27.1 2 8 6% बताया गया है। जाति जनगणना रिपोर्ट जारी होने के बाद तमाम जातियों की संख्या अब सामने आ चुकी हैं, जिसके बाद मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। याचिकाकर्ता इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और रिपोर्ट जारी करने के विरोध में अपनी बातें रखी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि हम इस मामले पर 6 अक्टूबर को ही आपकी दलील सुनेंगे।