बिहार: सीएम नितीश की मुसलमानों के साथ आवास पर बैठक

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हिंदू पर्व-त्योहारों में तो दिखते ही हैं, वह मजारों पर चादर चढ़ाने भी जाते रहते हैं। इन दिनों वह कई बार मजारों पर गए। इस बीच बिहार में जातीय जनगणना का आंकड़ा जारी हुआ और मुसलमानों की आबादी 17.7 प्रतिशत सामने आयी। यह सब चल ही रहा था कि अब मुख्यमंत्री ने आवास पर अकलियतों की बैठक कर ली। इसके साथ ही बिहार की राजनीति गरम हो गई है। क्या नीतीश कुमार एक बार फिर मुसलमानों को अपने साथ करने की मुहिम में जुट गए हैं? तो, जवाब है- हां। और, खास बात यह कि इस बार असद्दुदीन ओवैसी वोट न काट सकें- इस लक्ष्य के साथ अकलियतों को एकजुट कर साथ लाने का लक्ष्य है।

भाजपा के साथ नहीं जाने का भरोसा और मजबूत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अकलियत-प्रेम की इस खबर से अलग 2013 से 2016 के बीच का दौर याद करें तो सबकुछ समझ में आ जाता है। उस समय मुसलमानों की पटना में रैली भी हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हाजिरी भी थी और उनका जताया भरोसा भी। उस समय नीतीश कुमार ने भाजपा छोड़ राष्ट्रीय जनता दल का हाथ पकड़ा था। एक बार फिर वही स्थिति है। बीच में राजद के साथ जनादेश लेकर नीतीश ने भाजपा का हाथ थामा था, लेकिन अब भाजपा के साथ चुनाव जीतकर वापस राजद के साथ हैं। एक बार फिर जदयू को मुसलमानों की जरूरत पड़ रही है। इस बीच जातीय जनगणना की रिपोर्ट में 17.7 प्रतिशत मुसलमानों की आबादी का सामने आना भी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण आंकड़ा है। शनिवार को सीएम आवास में हुई अकलियतों की बैठक में मुख्यमंत्री ने मुसलमानों को भरोसा दिलाया कि वह भाजपा के खिलाफ हैं और इस बार केंद्र में इंडी एलायंस की सरकार बनानी है। इसके लिए उन्होंने एकजुट होकर तैयारी करने के लिए भी कहा।

धर्म की राजनीति हो तो एकजुट हों मुसलमान
भारतीय जनता पार्टी हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश करेगी, लेकिन यह पक्का है कि नीतीश-लालू की जोड़ी को गैर-सवर्ण को अपने साथ लाने की जद्दोजहद में पूरी ताकत झोंक देगी। बिहार की जातीय जनगणना की आननफानन में आयी रिपोर्ट और उसके आंकड़ों पर जिस तरह से सवाल उठ रहे, उससे इस जद्दोजहद का अंदाजा लग भी रहा है। ऐसे में जदयू अगर मुसलमानों को एकजुट करने का प्रयास कर रहा है तो कुछ अजूबा नहीं। पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटें हासिल कर ली थीं, यह अलग बात है कि बाद में राजद ने चार को अपने साथ कर लिया। शनिवार को इस बैठक से निकलने के बाद मुस्लिम नेताओं ने कहा भी कि वह इस बार ओवैसी के झांसे में नहीं आएंगे, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केा दिल्ली की गद्दी पर बैठाने के लिए एकजुट होकर ताकत झोकेंगे।

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