दिल्ली में आज से खराब हो सकती है वायु गुणवत्ता, कम हुई हवा की रफ्तार

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर आज से खराब श्रेणी में पहुंच सकता है। आशंका जाहिर की जा रही है कि हवाओं की दिशाएं उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम से बदलकर सिर्फ उत्तर-पश्चिम हो सकती है। गति भी घटकर 12 किमी प्रतिघंटा तक रह सकती है।

मंगलवार को दिल्ली में 16 किमी की गति से हवाएं चली। हल्की हवाओं के कारण प्रदूषण के स्तर में मामूली बढ़त दर्ज की गई। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के मुताबिक, हवाओं के रुख में आए मामूली बदलाव के कारण मंगलवार को दिल्ली के प्रदूषण सूचकांक में मामूली बढ़त हुई। सोमवार को दिल्ली का प्रदूषण सूचकांक 175 दर्ज किया गया था, जो मंगलवार को बढ़कर 180 हो गया, जोकि मध्यम स्तर है। 

बुधवार को यह बढ़कर 200 पार जा सकता है, जो खराब श्रेणी रहेगी। संस्थान के मुताबिक, मंगलवार को वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में रही। 13 अक्तूबर तक वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी के निचले स्तर पर रहने की आशंका है। अगले छह दिन में वायु गुणवत्ता खराब से मध्यम श्रेणी में रह सकती है। 

दिल्ली में मंगलवार को प्रमुख सतही हवाएं पश्चिम उत्तर-पश्चिम/दक्षिण-पश्चिम दिशाओं से 16 किमी प्रतिघंटे चली। वहीं बुधवार को साफ आसमान और धुंध के साथ दिल्ली में मुख्य सतही हवा 04-12 किमी प्रति घंटे की गति से उत्तर-पश्चिम दिशाओं से चल सकती है। वहीं मंगलवार को अनुमानित अधिकतम मिक्सिंग हाइट 3350 मीटर रही।

मंत्री ने किया एनबीसीसी प्रोजेक्ट का निरीक्षण, मिलीं अनियमितताएं
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ धूल प्रदूषण को लेकर हो रही लापरवाही पर सरकार सख्त है। मंगलवार को चलाए गए एंटी डस्ट कैंपेन के तहत पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कड़कड़डूमा स्थित एनबीसीसी प्रोजेक्ट का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने निर्माण स्थल पर धूल नियंत्रण से संबंधित कई अनियमितताएं पाईं। मौके पर ही उन्होंने डीपीसीसी को निर्माण एजेंसी को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो जुर्माना लगाया जाएगा। 

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कंस्ट्रक्शन साइटों पर डस्ट कंट्रोल के लिए जारी 14 नियमों को लागू करना आवश्यक है। इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों को निर्माण साइट्स का लगातार निरीक्षण का निर्देश दिया गया है। एनबीसीसी प्रोजेक्ट स्थल का निरीक्षण करने के बाद गोपाल राय ने कहा कि निर्माण साइट पर पर्यावरण के नियमों का सही से पालन नहीं किया जा रहा है। 

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