राष्ट्रद्रोहियों पर निगाह !


15 अक्टूबर: रामपुर (उ.प्र.) के विशेष न्यायधीश विजय कुमार (द्वितीय) ने 13 अक्टूबर को उन सभी 25 पुलिस, पी.ए.सी. व सी.आर.पी.एफ. के कर्मियों (4 नागरिकों सहित) को दस-दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है, जो सरकारी मालखानों से कारतूस चुरा कर अराजकतत्वों-बदमाशों को बेचते थे। इन पुलिस कर्मियों ने पेशेवर बदमाशों की तर्ज पर पूरे उत्तर प्रदेश में सरकारी कारतूस चुराने-बेचने का सिंडीकेट बनाया हुआ था, जिसका गैंग लीडर दरोगा यशोदानंदन था। मुकदमे के दौरान उसकी मृत्यु हो चुकी है।

सन 2010 में दन्तेवाड़ा (छत्तीसगढ़) में नक्सलवादियों ने बड़ा हमला बोलकर 76 सीआरपीएफ जवानों की हत्या कर दी थी। जांच में पता चला कि ये जवान तो पुलिस के कारतूसों से मरे हैं। इस पर एटीएस ने जांच-पड़ताल शुरू की और नाथीराम सैनी नाम के पुलिस कर्मी को 400 सरकारी कारतूसों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।

न्यायधीश महोदय ने अपने फैसले में कहा है- ‘दोषियों पर कानून व्यवस्था को बनाये रखने की जिम्मेदारी थी लेकिन उन्होंने सिर्फ और सिर्फ लाभ कमाने के मकसद से संगठित अपराध को अंजाम दिया है।’

देश में ऐसे गद्दारों की कमी नहीं जो निजी हितों या अपनी धार्मिक जुनून की तुष्टि के लिए देश की सुरक्षा व सम्प्रभुता से सौदा कर लेते हैं। जम्मू-कश्मीर इसका जीता-जागता उदाहरण है। वहां ऐसे गद्दारों की कमी नहीं जो सरकारी मुलाजिम होते हुए, सरकारी पैसे पर पलते हुए भी शासकीय संसाधनों का लाभ भारत के दुश्मनों को पहुंचाते रहे। इन भेदियों ने आतंकवादियों- पाकिस्तान की मदद में कोई शर्मिन्दगी महसूस नहीं की। अब्दुल्ला व मुफ्ती परिवार ने इन लोगों पर जी भर कर सरकारी खजाने का पैसा लुटाया। अनुछेद 370 हटने के बाद इन्हें ढूंढ ढूंढ़ कर चिह्नित किया जा रहा है।

सरकारी पैसे पर पलने वाले और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले तत्व केवल कश्मीर में ही नहीं अपितु पूरे भारत में सक्रिय हैं। इनको ढूंढ पाना जटिल कार्य है। किन्तु जनता एवं शासन को इस ओर से निरन्तर सतर्क रहना ही है। राष्ट्रहित में यह हम सभी का अनिवार्य कर्त्तव्य है।

गोविन्द वर्मा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here