2 नवम्बर: किसान एवं ग्रामीण भाइयों के लिए यह सुखद समाचार है कि जनपद मुजफ्फरनगर के तुगलकपुर कम्हेड़ा ग्राम में प्रदेश का पहला गाय अभ्यारण्य इस मास के अन्त तक आरम्भ हो जाएगा। 300 बीघा के गोवंश संरक्षण केन्द्र में 5000 पशुओं के भरण-पोषण व चिकित्सा की व्यवस्था है।
अनाश्रित गोवंश की समस्या को हल करने के उद्देश्य से केन्द्रीय राज्य पशुपालन मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने पुरकाज़ी क्षेत्र में एक बड़ा अभ्यारण्य स्थापित करने हेतु स्थान एवं 64 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत कराई थी। जिन लोगों ने सरकारी जमीन कब्जाई हुई थी या जिन्होंने राजस्व विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों की सांठगांठ से ज़मीन के फर्जी कागजात बनवा लिए थे, उन्हें गाय अभ्यारण्य स्थापित होने के समाचार से परेशानी हुई और हड़ताल, धरना-प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया। ये वे ही लोग थे जिनकी आजीविका गोवंश या पशुधन पर निर्भर है और जो बछड़ों व पशुओं को छुट्टा छोड़ देने के आदी हैं तथा जो निराश्रित पशुओं के कारण उत्पन्न समस्या के लिए सरकार को कोसने में सबसे आगे रहते हैं।
चूंकि सरकार की नीति सकारात्मक है, इसलिए गाय अभ्यारण्य के लिए जो स्थान पहले तय हुआ था, उसकी जगह दूसरा स्थान तलाशा गया और अन्ततः एक दूसरे स्थान तुगलगपुर में 6 मार्च 2023 को केन्द्रीय पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने गाय संरक्षण केन्द्र की आधारशिला रखी। 64 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले अभ्यारण्य की स्थापना का श्रेय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान को देते हुए तब श्री रूपाला ने कहा था कि बहुत शीघ्र देसी गाय भारत की अर्थव्यवस्था का आधार बन जायेंगी।
उन्होंने कहा कि देशी गाय का गोबर व मूत्र हानिकारक रासायनिक उर्वरक का श्रेष्ठ विकल्प है। देश में दो-दो हजार गायों के बड़े-बड़े डेयरी फार्म खोल कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। भारत के सभी एक लाख 60 हजार बैंक शाखाओं को निर्देश दिया गया है कि वे पशु पालकों को बिना गारंटी ऋण प्रदान करें। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह भी उपस्थित थे, जिन्होंने बताया कि राज्य में 500 सचल पशु अस्पताल संचालित किये गए हैं जो फोन करते ही एक घंटे के भीतर किसान के दरवाजे पर पहुंच जायगा।
केन्द्र व राज्य सरकार पशुधन की उन्नति व निराश्रित पशुओं की समस्या को हल करने की दिशा में अग्रसर हैं। इन पशु अभ्यरणीय में गोबर से कम्पोस्ट व बिजली भी तैयार होगी और लाइवस्टॉक मेन की ट्रेनिंग के केंद्र भी खुलेंगे। छुट्टा पशुओं को थाना-तहसील मे घुसेड़ने के बजाय किसान नेता यह देखे कि ग्रामों में छुट्टा पशु कौन छोड़ता है? क्या ये विलायत से लाये जा रहे हैं? इन्हें गोशालाओं और पशु संरक्षण केन्द्रों तक क्यूं पहुंचाया नहीं जाता? सरकार फी पशु पर 900 रुपये का अनुदान देती है, इन पशुओं के लिए यह धनराशि क्यूँ व्यय नहीं की जाती ?
बेहतर है कि किसान भाई बहकावे में ना आकर सरकारी परियोजनाओं का लाभ उठायें।
गोविन्द वर्मा