वाराणसी की शर्मनाक घटना


4 नवम्बर: देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्याल, जिसकी स्थापना महामना मदन मोहन मालवीय जैसे संत प्रवृत्ति के महापुरुष द्वारा की गई हो, और जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र का अति प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र हो, वह बेटियों के शीलहरण और अराजक तत्वों तथा शोहदों का अभ्यारण्य बन जाए. इसमे शर्मनाक, निन्दनीय कुछ नहीं हो सकता। गत दो नवंबर को वाराणसी के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में गुण्डा तत्वों ने कर्नाटक से विद्याध्ययन हेतु आई छात्रा के साथ जो दुष्टता व पृणित अपराध किया, उसका जिक्र करना भी दुःखद व लज्जाजनक है। इस पैशाचिक घटना का वर्णन करने के बजाय राजतंत्र चलाने वाले सिस्टम को गम्भीरता व जिम्मेदारी से सोचना चाहिये कि बीएचयू परिसर गुण्डों के लिए दरिन्दगी तथा अश्लीलता का केन्द्र क्यूं बन गया है।

बीएचयू में छात्रावासों तथा परिसर के भीतर लड़कियों से छेड़छाड़, उनसे अभद्रता व अश्लीलता फैलाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटनायें अतीत में होती रही हैं। खेद है कि विवि प्रबंधन, प्रशासन तथा पुलिस इन घटनाओं को हल्के में लेता रहा। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रायें बार-बार प्रदर्शन कर गुण्डागर्दी को रोकने व लड़‌कियों से बेहूदगी करने वालों को कड़ा दंड देने की मांग करते रहे हैं लेकिन विश्वविद्याल प्रशासन औपचारिक खानापूरी कर छात्राओं की दहशत व आक्रोश को दबाने का प्रयास करता है, समस्या को जड़मूल से उखाड़ फेंकने की उसकी नियत नहीं रही, अन्यथा गुण्डा तत्व बार-बार दुस्साहस न करते।

प्रधानमंत्री ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं’ की बात करते हैं। मुख्यमंत्री कड़े शब्दों में कह चुके हैं कि एक चौराहे पर हमारी बेटियों से खिलवाड़ करने वाला दूसरे चौराहा क्रॉस करते ही यमलोक पहुंचा दिया जाएगा किन्तु पुलिस विभाग मुख्यमंत्री जी की भावना और उनके विचारों के अनुरूप काम नहीं करता। शासन जब नारी सुरक्षा के प्रति कृतसंकल्प है तो पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली व सोच को बदलना होगा। अब वह सरकार नहीं है जिस के मुखिया कहा करते थे कि लड़कों से तो गलतियां हो ही जाती हैं।

दो नवंबर की घटना पर एस. एस. पी. ने थाना प्रभारी को निलम्बित कर दिया है। कुछ दिनों बाद उनकी बहाली भी हो जायगी। यह ब्रिटिश काल से चली आ रही पुलिस की पुरानी रीति है। महिला उत्पीड़न के मामलों में उदासीनता बरतने वाले पुलिजनों का निलम्बन या लाइन हाजरी एक पुराना खेल है। यह बन्द होता चाहिये और लापरवाह व जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ने वालों को कड़ा दण्ड मिलना चाहिए।

प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री से हमारा आग्रह है कि वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में 5 वर्षों के दौरान छात्राओं से हुई अभद्रता की तमाम घटनाओं की रिपोर्ट तलब करें। विश्वविद्यालय प्रशासन से उन सभी गैर जिम्मेदार अधिकारियो को कार्यमुक्त करने की आवश्यकता है, जो ऊंचे पदों पर रहते हुए भी नारी सुरक्षा के प्रति उदासीन हैं। इस ओर शिथिलता बरतने से विवि की इस दुरावस्था का समाधान होते वाला नहीं।

गोविन्द वर्मा

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