इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हवा जहर का रूप ले चुकी है। ऐसी आबोहवा में लोगों को सांस लेने में समस्या हो रही है। इस बीच लगातार बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर ग्रैप का चौथा चरण लागू कर दिया है। रविवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने तत्काल प्रभाव से पूरे एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण को लागू करने का निर्णय लिया। इसके अंतर्गत अब नई पाबंदियां लागू हो गई हैं। पहले, दूसरे और तीसरे चरण की पाबंदियां पहले की तरह लागू रहेंगी। अब दिल्ली और आसपास के जिलों में बीएस-6 को छोड़कर अन्य डीजल वाहनों के चलने पर रोक रहेग
ग्रैप का चौथा चरण
- दिल्ली के बाहर से आने वाले सभी ट्रकों को प्रवेश पर पाबंदी रहेगी। हालांकि, जरूरी सामान लाने वाले व सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों पर पाबंदी से छूट दी गई है।
- दिल्ली में पंजीकृत मध्यम व भारी डीजल संचालित माल वाहनों पर प्रतिबंध। जरूरी सामान वाले वाहनों को छूट मिलेगी।
- एनसीटी दिल्ली व एनसीआर में डीजल चलित चार पहिया वाहनों पर रोक रहेगी। हालांकि, आपातकालीन वाहनों को छूट दी गई है। इस श्रेणी में केवल बीएस-6 वाहन चल सकते हैं।
- एनसीआर में उद्योगों पर पाबंदी। जहां पीएनजी ईंधन की सुविधा नहीं है और सरकार द्वारा अधिकृत सूची से बाहर के ईंधन का उपयोग किया जा रहा है तो रोक लगेगी। हालांकि, दूध व डेयरी उत्पादों और मेडिकल उपकरणों से जुड़े उद्योगों को छूट दी जाएगी।
- निर्माण व विध्वंस गतिविधियों पर रोक। इसके अलावा फ्लाईओवर, राजमार्ग, पुल व पाइपलाइन समेत अन्य गतिविधियों पर रोक।
- केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को घरों से काम करने की छूट दे सकती है।
- एनसीआर राज्य सरकारें सार्वजनिक, निगम और निजी दफ्तरों में 50 फीसदी क्षमता के साथ घरों से काम करने की छूट दे सकती है।
- राज्य सरकारें स्कूल व कॉलेज को बंद करने के साथ गैर आपातकालीन वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कर सकती है।
आखिर ग्रैप होता क्या है?
पिछले कुछ वर्षों में देश की राजधानी दिल्ली अक्तूबर-नवंबर के महीनों में गैस चैंबर बनती रही है। इस समय पर हवा की गुणवत्ता बताने वाला वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘खतरनाक’ श्रेणी में बना रहता है जिससे लोगों के बीमार होने का भी खतरा बना रहता है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए 2 दिसंबर 2016 में एमसी मेहता बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। आदेश के अनुसार, विभिन्न वायु गुणवत्ता सूचकांक के तहत कार्यान्वयन के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप तैयार किया गया है।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक में एक्यूआई की कई श्रेणियों में शामिल किया गया है जिसमें मध्यम और खराब, बहुत खराब और गंभीर शामिल हैं। ‘गंभीर+ या आपातकालीन’ की एक नई श्रेणी बाद में जोड़ी गई है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण के जरिए ग्रैप के कार्यान्वयन के लिए अधिसूचित किया गया है।
ग्रैप कार्य योजना में कितने चरण होते हैं?
-ग्रैप को दिल्ली एनसीआर में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता के 4 विभिन्न चरणों के हिसाब से बांटा गया गया है। ग्रैप का चरण-l उस वक्त लागू होता है, जब दिल्ली में AQI का स्तर 201-300 के बीच होता है।
-ग्रैप का दूसरा चरण उस परिस्थिति में प्रभावी होता है, जब राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 301-400 के बीच ‘बहुत खराब’ मापा जाता है। चरण II के तहत कार्रवाई एक्यूआई के 301-400 के अनुमानित स्तर तक पहुंचने से कम से कम तीन दिन पहले शुरू की जाती है।
-चरण III ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता के बीच लागू किया जाता है। इस वक्त दिल्ली में एक्यूआई 401-450 के बीच होता है। ग्रैप के चरण III के तहत कार्रवाई एक्यूआई के 400 से अधिक के अनुमानित स्तर तक पहुंचने से कम से कम तीन दिन पहले शुरू की जाती है।
-ग्रैप कार्य योजना का अंतिम और चरण IV ‘गंभीर +’ वायु गुणवत्ता की परिस्थिति में लागू किया जाता है। इस दौरान दिल्ली में AQI स्तर 450 से ज्यादा होना चाहिए। दूसरे और तीसरे चरण की तरह चरण IV के तहत कार्रवाई एक्यूआई के 450 के अनुमानित स्तर तक पहुंचने से कम से कम तीन दिन पहले ही शुरू की जाती है।