प्रगति के पथ पर भारतीय रेलवे !

9 नवंबर: जो लोग सत्य को स्वीकारते हैं, वे इस सच्चाई को यकीनन स्वीकार करेंगे कि मोदी सरकार ने अपने दोनों कार्यकालों में कनेक्टीविटी यानी जल, थल, नभ के मार्गों को जोड़ने या नये सम्पर्क मार्ग बनाने में अत्यधिक तत्परता से काम किया है।

पंजाब के जलंधर से पश्चिमी बंगाल तक 1800 किमी लम्बा फ्रेट कॉरिडोर, वाराणसी से हल्दिया तक 1250 किमी का गंगा का जलमार्ग और देश के कई अछूते शहरों के साथ-साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों मे नये हवाई अड्डों का निर्माण सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति व जन-सुविधाओं का विस्तार करने की अवधारणा का प्रतीक है।

सरकार ने रेल यात्री की सुविधाओं के लिए जिस तीव्रगति से काम किया। वह स्वयं में एक मिसाल है। हमने इन आँखो से शाहदरा-सहारनपुर के बीच चलने वाली मार्टिन बर्न कम्पनी की लाइट रेलवे की ट्रेनों को पटरियों पर रेंगते देखा है। कछुवा चाल से चलने वाली नैरोगेज की ट्रेनें मज़ाक बन कर रह गई थीं। हमने यह देखा कि कैसे एसएस लाइट रेलवे को ब्रॉड गेज में परिवर्तित कराने के लिए स्व. रामचन्द्र विकल (सांसद) तथा मास्टर श्रीचन्द्र, ऐलम (विधायक) ने दिल्ली दरबार तक कितनी भाग-दौड़ की थी। पं. कमलापति त्रिपाठी ने व्यक्तिगत रुचि लेकर इसे बड़ी लाइन में तब्दील कराया। अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बागपत के सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह सहारनपुर-दिल्ली रेल मार्ग के दोहरीकरण तथा इस ट्रैक पर पड़ने वाले स्टेशनों व हाल्टों के उच्चीकरण को लेकर रेलवे मंत्रालय के निरन्तर सम्पर्क में हैं।

अभी बुधवार, 8 नवंबर को उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी बागपत के जिवाना गूलियान ग्राम से गुजरने वाले ट्रैक के समीप नया रेलवे हाल्ट का शिलान्यास करने आये थे। श्री चौधुरी ने बताया कि दिल्ली-सहारनपुर ट्रैक को शीघ्र ही दोहरा बनाने की प्रक्रिया आरम्भ हो जायगी। इससे इस लाइन पर चलने वाली ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी। स्टेशनों व हाल्टों की टिकट खिड‌कियों की संख्या में भी वृद्धि होगी। अन्य यात्री सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की जाएगी।

यात्री स्वयं सुधरे हुए विस्तृत रेलवे स्टेशनों व बुलेट ट्रेन से लेकर वंदेभारत, रैपिड रेल की कल्पना को साकार होते देख रहे हैं। जरा कल्पना कीजिये कि कब और कैसे रेल पटरी पर सर गंगाराम ने घोड़ों के ज़रिये गाड़ी दौड़ाई होगी और आज उस देश में बुलेट ट्रेन चलने का आगाज़ हो रहा है। निःसन्देह कनेक्टिविटी बढ़ाने को कार्यरत मोदी सरकार बधाई की पात्र है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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