से. रा. यात्री जीवनवृत्त: 10 जुलाई 1932 को ग्राम जड़ौदा पांडा (जिला सहारनपुर) में श्रीमती कृपा देवी एवं श्री होशियार सिंह के घर में जन्मे श्री से रा यात्री के नाम कुल 18 कथा संग्रह, 33 उपन्यास, 2 व्यंग्य संग्रह, तथा एक-एक सम्पादित कथा संग्रह व संस्मरण हैं।
साहित्यिक विधाएँ: काव्य, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य, संस्मरण
उपन्यास: दराजों में बंद दस्तावेज, लौटते हुए, कई अँधेरों के पार, अपरिचित शेष, चाँदनी के आरपार, बीच की दरार, टूटते दायरे, चादर के बाहर, प्यासी नदी, भटका मेघ, आकाशचारी, आत्मदाह, बावजूद, अंतहीन, प्रथम परिचय, जली रस्सी, युद्ध अविराम, दिशाहारा, बेदखल अतीत, सुबह की तलाश, घर न घाट, आखिरी पड़ाव, एक जिंदगी और, अनदेखे पुल, कलंदर, सुरंग के बाहर
कथा संग्रह: केवल पिता, धरातल, अकर्मक क्रिया, टापू पर अकेले, दूसरे चेहरे, अलग-अलग अस्वीकार, काल विदूषक, सिलसिला, अकर्मक क्रिया, खंडित संवाद, नया संबंध, भूख तथा अन्य कहानियाँ, अभयदान, पुल टूटते हुए, विरोधी स्वर, खारिज और बेदखल, परजीवी
व्यंग्य संग्रह: किस्सा एक खरगोश का, दुनिया मेरे आगे
संस्मरण: लौटना एक वाकिफ उम्र का
संपादन: वर्तमान साहित्य (मासिक पत्रिका), विस्थापित (कथा संग्रह)
परिवार: यात्री जी के परिवार में एक बहन श्रीमती गेंदी तथा चार भाई – श्री लक्ष्मीचन्द, श्री मुरारी लाल, श्री भगवान दास, एवं श्री चन्द्र प्रकाश हैं। उनकी पत्नी श्रीमती उषा देवी हैं। उनके तीन पुत्रियाँ श्रीमती प्रज्ञा (बीकानेर), श्रीमती अलका व श्रीमती अपर्णा (गाजियाबाद) तथा दो पुत्र आलोक यात्री, अनुभव यात्री हैं।
शिक्षा: वर्ष 1948 में हाईस्कूल तथा एन.आइ. ई.सी. काॅलेज, खुर्जा में वर्ष 1955 में एम.ए. (हिन्दी) और वर्ष 1957 में एम.ए. (राजनीति शास्त्र)
कार्यक्षेत्र: अध्यापन एवं लेखन, एन.आर. ई.सी. काॅलेज, खुर्जा (बुलन्दशहर), नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश व गाजियाबाद (अनुक्रम)
पुरस्कार:
सेतु शिखर सम्मान, पिट्सबर्ग अमेरिका (2017)
महात्मा गांधी साहित्य सम्मान (2011)
‘समन्वय’ द्वारा ‘सारस्वत सम्मान’ (2007)
साहित्य भूषण (2006)
उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा कथा संग्रह, धरातल (1979), सिलसिला (1980), अकर्मक क्रिया (1980), अभयदान (1979), लौटना एक वाकिफ उम्र का (संस्मरण, 1998, नामित पुरस्कार), पुरस्कृत
सावित्री देवी चैरिटेबल ट्रस्ट, गाजियाबाद द्वारा 1986 में पुरस्कार एवं सम्मान
राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, डूंगरगढ़, राजस्थान द्वारा 1993 में ‘साहित्यश्री’ सम्मान से अलंकृत
राजस्थान पत्रिका, जयपुर द्वारा वर्ष 1998 में ‘विरोधी स्वर’ कहानी के लिए पुरस्कृत