हाथरस के सादाबाद में 6 दिसंबर की रात करीब एक बजे आगरा-अलीगढ़ राजमार्ग पर बढ़ार चौराहे के पास दो कंटेनर आपस में टकरा गए। टक्कर से एक चालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे कंटेनर के चालक-परिचालक गंभीर घायल हो गए। घायलों को कंटेनर की बॉडी में से जेसीबी की मदद से काटकर निकाला गया। घायलों को सादाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिजवाया गया। गंभीर हालत में चालक-परिचालक को आगरा के लिए रेफर कर दिया गया। मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल हाथरस भिजवाया गया।
रात्रि को हाथरस की तरफ से आने वाले कंटेनर के चालक नितेश पुत्र एवं परिचालक मोनू पुत्रगण राजवीर तोमर निवासी ट्रांसपोर्ट नगर सीपी नगर मेरठ सगे भाई है। वह गाड़ी नंबर UP15DT6815 से मेरठ से आगरा जा रहे थे। धर्मेंद्र कुमार पुत्र ओमप्रकाश निवासी गांव रथपुर थाना अकराबाद जिला अलीगढ़ आगरा से खाली कंटेनर लेकर माल लोड करने के लिए गाजियाबाद जा रहा था । अचानक बढ़ार चौराहे के समीप हाथरस की ओर से आने वाले कंटेनर के ड्राइवर साइड का टायर फट गया । असंतुलित होकर आगरा की तरफ से आ रहे कंटेनर में टक्कर मारता हुआ पेड़ से जा टकराया।
दोनों की आमने-सामने की भिड़ंत से कंटेनर चालक धर्मेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई। टक्कर की आवाज से सो रहे ग्रामीण जग गए। बरात में भी लोग आवाज सुनकर घटना स्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य में जुट गए। सूचना पर पुलिस और एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गई और दो घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। जहां धर्मेंद्र को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। एक अन्य घायल नितेश को कंटेनर की बॉडी से जेसीबी और गैस कटर की मदद से डेढ़ घंटे बाद निकाला गया। उसे पुलिस की जीप से सीएचसी भेजा, वहां से आगरा रेफर कर दिया गया। मृतक को पोस्टमार्टम के लिए हाथरस भेज दिया गया है।
दोनों कंटेनर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। हादसे से हाथरस-आगरा मार्ग पर काफी लंबा जाम लग गया। सादाबाद कोतवाल मुकेश कुमार ने हाईवे को कई बार फोन किया। इसके दो घंटे बाद हाईवे की हाइड्रा मौके पर पहुंची और दोनों क्षतिग्रस्त वाहनों को रोड से हटाकर लगे जाम को खुलवाया गया।
टोल प्लाजा की मदद न मिलने पर भड़के वाहन चालक
भीषण हादसे को लेकर इस मार्ग से गुजरने वाले वाहन चालक भड़क गए, उनका कहना था कि हम लोग टोल के साथ-साथ रोड टैक्स आदि जमा कर रहे है। उसके बावजूद भी हादसे के दो घंटे बाद भी टोल प्लाजा की तरफ से न कोई एंबुलेंस आई और न ही रास्ते से क्षतिग्रस्त वाहनों को हटाने के लिए कोई भी मशीन भेजी गई। वह लगातार टोल प्लाजा पर फोन करते रहे, पुलिस के भी कई बार फोन करने के दो घंटे बाद हाइड्रा मौके पर पहुंची। कुछ ड्राइवर टोल कर्मियों से भी उलझने लगे। पुलिस ने उन्हें समझाया। वाहन चालकों का कहना था कि कड़ाके की ठंड में सही समय से मदद न मिलने पर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
पिता के मना करने के बाद भी बना ड्राइवर
हादसे में मृतक धर्मेंद्र के पिता ओमप्रकाश अन्य परिजनों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और गाड़ी की स्थिति को देखकर बुरी तरह बिलखने लगे। उनके साथ आए अन्य लोग उन्हें संभालने का प्रयास कर रहे थे। रोते हुए उन्होंने बताया कि पुत्र को गाड़ी पर ड्राइवरी करने के लिए मना किया था कि कोई दूसरा काम देख ले, लेकिन वह नहीं माना। मृतक धर्मेंद्र ने अपने पीछे पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़ा है, जिसमें से एक बच्चा 6 माह पहले ही हुआ था। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था।