कानपुर में महिला ने अपने दूसरे पति की संपत्ति हथियाने के लिए सारी ऐसा स्वांग रचा कि जिसने भी सुना हैरान हो गया। पति की करोड़ों रुपये की संपत्ति ऐंठने के लिए महिला ने पहले पति से हुए बेटे का फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाया।
इसके आधार पर कोर्ट में बेटे को दूसरे पति का पुत्र बताते एक लाख रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण का दावा ठोंक दिया। जांच में प्रमाणपत्र फर्जी निकलने पर कोर्ट ने महिला का भरण-पोषण का केस निरस्त कर दिया है। अब पुलिस ने भी नगर निगम से जारी प्रमाणपत्र की जांच शुरू कर दी है।
नजीराबाद के रंजीतनगर निवासी केमिकल कारोबारी रिहा गुप्ता का पहले पति से तलाक हो चुका है, जिससे एक बेटा है। इसके बाद 2014 में वैवाहिक वेबसाइट के जरिये रिहा की मुलाकात मूलरूप से गोरखपुर निवासी धागा कारोबारी अमित अंजनी पोद्दार से हुई।
ढाई करोड़ रुपये कैश लेकर मायके आ गई
अमित का 2013 में पत्नी वर्षा से तलाक हो चुका है। इनके भी एक 19 साल का बेटा है। रिहा और अमित की मुलाकात परवान चढ़ी, तो दोनों ने मार्च 2014 में शादी कर ली। फरवरी 2021 तक तो सब कुछ ठीक रहा पर मार्च में रिहा तमिलनाडु के ईरोड स्ट्रीट टीचर्स कॉलोनी निवासी पति को बिना बताए ढाई करोड़ रुपये कैश लेकर मायके आ गई।
करोड़ों के ही जेवर भी बहाने से मंगवा लिए
इसके बाद पति से 80 फीट रोड स्थित प्रॉपर्टी खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये और मंगा लिए। साथ ही करोड़ों के ही जेवर भी बहाने से पति से मंगवा लिए। इसके बाद भी वह तमिलनाडु नहीं आई तो उसे डराने के लिए पति ने कोर्ट से नोटिस भेज दिया।
दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया
डरने के बजाय रिहा ने उल्टा पति व सास के खिलाफ नजीराबाद थाने में दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस की जांच में आरोप गलत साबित होने पर विवेचक ने जनवरी 2023 में अंतिम रिपोर्ट लगा दी। इसके बाद भी चार बार रिहा ने आपत्ति लगाई, लेकिन हर बार जांच का परिणाम वही निकला।
फर्जी जन्म प्रमाण पत्र भी बनवाया
इसके बाद रिहा ने अपने पहले पति से हुए बच्चे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाया और कोर्ट में भरण-पोषण के लिए याचिका दाखिल की। कोर्ट की नोटिस पर अमित ने अपने स्तर पर जन्म प्रमाण पत्र की स्वास्थ्य विभाग से जांच कराई तो वह फर्जी निकल गया। इस पर उसने कोर्ट ने जांच रिपोर्ट दायर कर दी।
मामले की जांच कराई जा रही है
इस पर कोर्ट ने रिहा का यह केस भी खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने पुलिस को फर्जी प्रमाणपत्र की जांच के आदेश दे दिए। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि नगर निगम में किस कर्मचारी ने यह जन्म प्रमाण पत्र बनाया था। थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले की जांच कराई जा रही है।