कानपुर में किसान बाबू सिंह खुदकुशी मामले में आरोपी पूर्व भाजपा नेता डॉ. प्रियरंजन आशु दिवाकर की लगभग एक माह से लंबित याचिका का हाईकोर्ट ने निस्तारण कर दिया है। फिलहाल पुलिस प्रियरंजन को गिरफ्तार नहीं कर सकती। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस को दोबारा सीएमएम कोर्ट से वारंट जारी कराना होगा।
चकेरी निवासी किसान बाबू सिंह ने नौ सितंबर 2023 की सुबह रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कटकर जान दे दी थी। बाबू ने मरने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा था। बाबू की पत्नी ने चकेरी थाने में डॉ. प्रियरंजन आशु दिवाकर, बब्लू यादव, राहुल जैन, मधुर पांडे, शिवम सिंह चौहान, जितेंद्र यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
आरोप है कि पति की लगभग सात करोड़ रुपये कीमत की साढ़े छह बीघा जमीन को इन लोगों ने धोखे से रजिस्ट्री करवा ली, लेकिन रुपया नहीं दिया। इससे परेशान होकर बाबू ने खुदकुशी कर ली। मामले में राहुल जैन और मधुर पांडे को जेल भेजा गया था, जबकि बाकी आरोपी फरार हैं।
वारंट के खिलाफ दाखिल की थी याचिका
राहुल जैन को पिछले दिनों हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी, आरोपी जितेंद्र यादव को अग्रिम जमानत मिल चुकी है। पुलिस ने प्रियरंजन के खिलाफ सीएमएम कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट व कुर्की की आदेशिका का आदेश जारी कराया था। प्रियंरजन ने हाईकोर्ट में गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।
पुलिसिया कार्रवाई पर रोक लगाई थी
इसमें पहले हाईकोर्ट ने एक दिन के लिए पुलिसिया कार्रवाई पर रोक लगाई थी। इसके बाद अंतरिम आदेश की अवधि 28 नवंबर, फिर पांच दिसंबर और बाद में 12 दिसंबर तक बढ़ा दी थी। इसी बीच प्रियरंजन ने सीएमएम कोर्ट पहुंचकर हाईकोर्ट का आदेश दाखिल कर दिया था।
हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया
प्रियरंजन के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि हाईकोर्ट ने अपर महाधिवक्ता से वारंट की वर्तमान स्थिति पूछी तो बताया गया कि वर्तमान में प्रियरंजन के खिलाफ कोई गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया।