इंडिया बैठक में हिंदी VS अंग्रेजी, सद्गुरु ने नीतीश कुमार को दी नसीहत

आध्यात्मिक नेता सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बताने और एक राजनीतिक बैठक के दौरान अनुवाद के अनुरोध पर अपना आपा खोने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि राज्यों के भाषाई विभाजन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि भारत में सभी भाषाओं को समान दर्जा मिले, चाहे उन्हें बोलने वाले लोगों की संख्या कुछ भी हो। उन्होंने जद (यू) नेता से भारत की भाषाई विविधता का सम्मान करने का भी आग्रह किया। आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि आदरपूर्वक आपसे अनुरोध है कि इस तरह के तुच्छ बयानों से बचें क्योंकि कई राज्य हैं जिनकी अपनी भाषा, साहित्य और संस्कृति है।

इंडिया ब्लॉक की बैठक में विवाद तब पैदा हुआ जब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता टीआर बालू नीतीश कुमार द्वारा हिंदी में दिए गए भाषण को समझने में असमर्थ रहे और अनुवाद के लिए संकेत दिया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने अनुवाद करने की पेशकश की, लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें अस्वीकार कर दिया, जिन्होंने जोर देकर कहा कि हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं और हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमें भाषा आनी चाहिए। 

नीतीश कुमार के रिएक्शन ने ताजा विवाद को जन्म दिया है। सद्गुरु की फटकार देश में भाषा की राजनीति पर चल रही बहस में नई है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा कथित तौर पर हिंदी थोपना एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, खासकर दक्षिणी राज्यों में।

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