राहुल गांधी ने मणिपुर के थोवल नामक स्थान से अपनी ‘न्याय यात्रा’ आरंभ कर दी है। लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटें जीत कर प्रधानमंत्री पद हासिल करने की रणनीतिक योजना के तहत भारत जोडो यात्रा के बाद राहुल की ‘न्याय यात्रा’ से उनकी महत्वाकांक्षा पूरी होगी या नहीं, यह तो समय बतायगा किन्तु राहुल की यात्रा शुरू होते ही एक अपशकुन हो गया।
एक ओर राहुल थोवल से ‘न्याय यात्रा’ शुरू कर रहे थे, दूसरी ओर उनके अति विश्वस्त व निकटवर्ती वरिष्ठ कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा के पुत्र मिलिन्द देवड़ा ने कांग्रेस छोड़ने और शिवसेना में शामिल होने की घोषणा कर दी।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने मिलिन्द देवड़ा के कांग्रेस छोड़ने पर अजीबोगरीब प्रतिक्रिया दी है। राहुल का भट्टा बैठाने वालों में रमेश जी भी एक हैं। पहले तो मीडिया वालों के सामने कहा- कौन मिलिन्द ? मैं किसी मिलिन्द को नहीं जानता, ऐसे मिलिन्द तो कांग्रेस के पास लाखों है। फिर कहा- मिलिन्द के कांग्रेस छोड़ने का समय व तारीख मोदी ने तय किया था ताकि राहुल गाँधी की ‘न्याय मात्रा’ मीडिया की सुर्खियां न बनें।
राहुल गांधी की मूर्खता व अहंकार के कारण उनके अनेक निकट सहयोगी व मित्रमंडली के सदस्य उनसे किनारा कर गये हैं। सोचा जा सकता है कि राहुल जिस ज्योतिरादित्य सिंधिया से संसद में आंख मार कर बात करते थे, वे भी तंग आकर उनसे अपना दामन छुड़ा बैठे। ये तो राष्ट्र स्तर के नेता हैं, प्रदेश, जिला व ग्राम स्तर के पुराने कांग्रेसजन राहुल गांधी की नीतियों से आजिज आ चुके हैं। हैरत है कि राहुल केवल चापलूसो को ही या मोदी को गालियां देने वालों को ही कांग्रेसी मानते हैं, साफ खरी बात कहने वाला उन्हें पसन्द नहीं। राहुल की सबसे बड़ी परेशानी यही है।
गोविन्द वर्मा