तन, मन, धन सब है तेरा, स्वामी सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा। बीएचयू में युवा कलाकार कुछ इसी भाव से प्रभुश्रीराम को अपनी श्रद्धानिवेदित करने में लगे हैं। इसके लिए युवाओं ने कैलीग्राफी कला का माध्यम चुना है। इस विधि से कोई प्रभुश्रीराम का चित्र बना रहा है तो किसी ने रामदरबार की आकृति बनाने के साथ ही रामचरित मानस के दोहों को सुअक्षरों में लिखा है।
रामनगरी अयोध्या में बनकर तैयार भव्य मंदिर में अब प्रभुश्रीराम की प्राणप्रतिष्ठा में केवल छह दिन का समय ही बचा है। देश के कोने कोने से लोग अलग-अलग सामान भी राम मंदिर में भेज रहे हैं। इन सबके बीच बीएचयू के दृश्य कला संकाय के छात्र-छात्राओं ने भी एक अनूठी पहल की है। यहां डिजाइन इनोवेशन सेंटर के समन्वयक डॉ. मनीष अरोरा के निर्देशन में छात्र लैब में कैलीग्राफी कला के माध्यम से विशेष पोस्टर तैयार कर रहे हैं।
इसमें रामचरित मानस के दोहों की सुंदर लिखावट और भगवान राम की मनमोहक आकृति बरबस ही लोगों का ध्यान खींच रही है। एक दो नहीं बल्कि 50 से अधिक पोस्टर पर छात्रों ने भगवान राम की अलग-अलग आकृतियां बनाया तो ढेर सारे दोहे भी लिखे हैं। इसके अलावा रामनाम के पत्थर की आकृति भी कागज पर उकेरा है।
विशेष कलम का इस्तेमाल
कैलीग्राफी कला से रामनाम लिखने वाले बीएचयू के दृश्य कला संकाय के छात्रों में सचिन, मान्या जायसवाल, महिमा सिंह, वंश, नेहा वर्मा का कहना है कि वह भी भगवान राम के लिए कुछ करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कैलीग्राफी को चुना। इस कला को हिंदी में अक्षरांकन या सुलेखन लेखन संबंधी कला के रुप में जाना जाता है। इससे वर्णों को सुंदर और कई तरह से लिखा जा सकता है। खास बात यह है कि इसके लिए एक विशेष प्रकार की कलम का उपयोग किया जाता है और ब्रश का प्रयोग सीधे तौर पर नहीं बल्कि तिरछा ब्रश चलाकर लिखावट और चित्र को आकर्षक बनाया जाता है। इसमें अक्षरों को अलग-अलग तरीके से उकेरा जाता है।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास को भेजेंगे कला
डॉ. मनीष अरोरा का कहना है कि कैलीग्रफी कला के बारे में समय-समय पर होने वाली कार्यशाला में भाग लेकर छात्रों ने जो कुछ भी सीखा है, उसके आधार पर ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चित्र, दोहों को लिख रहे हैं। इन सभी की कला से लोग रूबरू हो सके, इसके लिए इन पोस्टरों को सीसे में मढ़वाकर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास को भेजा जाएगा। साथ ही यह भी निवेदन किया जाएगा कि इन दोहों को मंदिर परिसर में जगह-जगह लगाया जाएगा तो लोगों को न केवल छात्रों की कला से लोग रूबरू होंगे बल्कि प्रभु की सुंदर आकृति और राममंदिर का दृश्य भी देख सकेंगे।