किसान संगठनों का ऐलान- कमेटी में सरकार के पक्ष वाले लोग, हम इसे खारिज करते हैं

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के 48वें दिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने एक कमेटी का भी गठन किया है, जो इस मुद्दे पर बात करके समाधान निकालने की कोशिश करेगी.

विपक्ष आग में घी डालने का काम कर रहा है- केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री

किसानों के सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी को ना मानने पर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि ऐसी बात करने वाले लोग निश्चित रूप से राजनीति से प्रेरित हैं जो नहीं चाहते कि ​इस समस्या का समाधान शांतिपूर्ण निकले. विपक्ष आग में घी डालने का काम कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट की गठित समिति पर मुझे संदेह- कृषि मंत्री

केरलमैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं, लेकिन मुझे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति पर संदेह है, क्योंकि इसके सभी सदस्य कृषि कानूनों के समर्थक हैं: केरल के कृषि मंत्री वीएस सुनील कुमार

सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी मर्जी के खिलाफ- केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी मर्जी के खिलाफ है. हम चाहते थे कि कृषि कानूनों को लागू किया जाए, लेकिन हम फैसले का सम्मान और स्वागत करते हैं. हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करेंगे.

किसान संगठनों का ऐलान- हमारा आंदोलन चलता रहेगा

हमारा आंदोलन सरकार के खिलाफ चलता रहेगा. कमेटी में वही लोग हैं जो कानून को सही ठहराते आए हैं. ये लोग अखबार में आर्टिक्ल लिखकर कानून को सही ठहराते रहे हैं. हमने तय किया है कि हमारा आंदोलन चलता रहेगा.

सरकार की कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी? कांग्रेस का आरोप

सुप्रीम कोर्ट ने आज किसानों से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई है. कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले क़ानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं. ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी? : रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस

पंजाब में किसानों के मुद्दे को ठीक से हल नहीं किया गया- बीरेंद्र सिंह

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा है कि हरियाणा में पार्टी की सरकार है, उसकी लीडरशिप ने पंजाब में किसानों के मामले को ठीक से हैंडल नहीं किया.

https://twitter.com/PTI_News/status/1348961810414669827?s=20

जब तक बिल वापसी नहीं, घर वापसी नहीं- राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट के तीनों कृषि कानूनों पर स्टे लगाए जाने के बाद कहा कि जब तक ‘बिल वापसी नहीं, घर वापसी नहीं’.

कोर्ट कानूनों को रद्द करने का फैसला करें: बिंदर सिंह गोलेवाला

भारतीय किसान यूनियन के बिंदर सिंह गोलेवाला ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट से विनती करना चाहेंगे कि कानूनों पर रोक नहीं बल्कि कोर्ट को कानूनों को रद्द करने का फैसला करना चाहिए, क्योंकि डेढ़ महीना हो गया है सरकार इस पर कुछ सोच नहीं रही है.

रोक लगाना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं, ये सरकार-संसद का काम था: किसान

सिंघु बॉर्डर में प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की रोक का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि ये सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए. ये सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है, ये सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले. जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा.

कृषि कानून रद्द होने तक आंदोलन जारी रहेगा:

राकेश टिकैतराकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कृषि कानून रद्द करने की है, जब तक पूरी नहीं होती आंदोलन जारी रहेगा

ये देश के किसानों की जीत है: किसानों के वकील एपी सिंह

किसानों के वकील एपी सिंह ने कहा कि ये देश के किसानों की जीत है. कृषि कानून की स्टडी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई है.

सुप्रीम कोर्ट ने चार लोगों की कमेटी बनाई

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी में कृषि अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ और भारत सरकार के पूर्व सलाहकार अशोक गुलाटी, भारतीय किसान यूनियन के एचएस मान, प्रमोद कुमार जोशी और अनिल धनवत हैं.

तीनों कृषि कानूनों पर लगाई अंतरिम रोक

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. उन्होंने तीनों कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ समाधान निकालने के लिए कमिटी के गठन का आदेश दिया है. कोर्ट ने एक समिति का गठन किया जिसमें कृषि एक्सपर्ट समेत अन्य हैं.

कोर्ट ने कहा – ऐसे तो देश की आबादी से ज्यादा हो जाएंगे लोग

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जितने वकील किसान संगठन कि ओर से पेश हो रहे हैं, सभी का कहना है कि उनके लाखों सदस्य हैं. ऐसे तो देश की आबादी से ज्यादा लोग हो जाएंगे. सरकार ने कहा कि तमाम निहित स्वार्थ इस मामले में हैं. किसानों को बहकाया और गलत जानकारी दी जा रही है

आंदोलन से जुड़ी हर लाइव अपडेट:-

तीन कृषि कानूनों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अस्थायी रोक लगा दी है।

कोर्ट ने इन कानूनों को रद्द नहीं किया है। सरकार और किसान संगठनों के बीच सुलह के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में तेजेंदर सिंह मान और अशोक गुलाटी समेत दो अन्य सदस्य हैं। हालांकि सुनवाई से पहले किसान संगठनों ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट कमेटी का गठन करता है तो उन्हें स्वीकार नहीं होगा और उनका आंदोलन जारी रहेगा। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हम अपने अंतरिम आदेश में कहेंगे कि किसानों की जमीन का कॉन्ट्रेक्ट न हो, क्योंकि किसानों को सबसे बड़ा डर इसी का है कि उनकी जमीन छिन जाएगी।

सीजेआई ने कहा, हम कानूनों की वैधता के बारे में चिंतित हैं और विरोध से प्रभावित नागरिकों की जीवन और संपत्ति की रक्षा के बारे में भी। हम अपने पास मौजूद शक्तियों के अनुसार समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास अधिकार है कि हम कानून को निलंबित करें और एक समिति बनाएं। यह समिति हमारे लिए होगी। आप सभी लोग जो इस मुद्दे को हल करने की उम्मीद कर रहे हैं, इस समिति के समक्ष जाएंगे। यह कमेटी एक आदेश पारित नहीं करेगी या आपको दंडित नहीं करेगी, यह केवल हमें एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

वहीं सुनवाई के दौरान कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने वाले एडवोकेट एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। जजों ने किसानों के वकील को फटकार लगाई कि ऐसा नहीं हो सकता कि हम जो आदेश जारी करें, उसमें जो आपको अच्छा लगे वो मान लें, और जो अच्छा न लगे वो न मानें। वहीं भारतीय किसान संगठन के वकील ने कहा कि उनके बैनर तले धरना दे रहे बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं घर चले जाएंगे। इस पर जजों ने कहा कि हम आपकी बात को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं।

प्रतिबंधित संगठन आंदोलन को शह दे रहे: सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पीएस नरसिम्हा ने कहा कि कुछ प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन का हिस्सा हैं और शह दे रहे हैं। इस पर जजों ने एटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या आपको भी ऐसा लगता है? इस पर एटॉर्नीा जनरल ने कहा कि वे पता करके बताएंगे। फिर जजों ने कहा कि वे कल यानी बुधवार को इस बारे में बताएं।

गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली, सुनवाई सोमवार को: किसान संगठनों ने दावा किया है कि वे गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली करेंगे और गणतंत्र दिवस को बाधित करेंगे। यह मुद्दा कोर्ट में भी उठा। इस पर जजों ने किसान गगठनों को नोटिस दिया और सोमवार को सुनवाई की तारीख तय की।

जानिए सोमवार हुई सुनवाई की खास बातें

इससे पहले सोमवार को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ का रुख देखते हुए माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट आज कमेटी बनाने का ऐलान कर सकता है। यह कमेटी पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में बन सकती है। तीनों कृषि कानूनों अभी लागू करने पर रोक लग सकती है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। जजों ने कहा था कि सरकार इतने दिन बाद भी गतिरोध खत्म नहीं कर पाई है। हम कानून पर नहीं, लेकिन इसके अमल पर रोक लगा सकते हैं। धरना प्रदर्शन खत्म करने को लेकर किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि किसान कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे देश को शर्मसार होना पड़े। 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च निकालने के सवाल पर दुष्यंत दवे ने यह बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि किसानों को धरना प्रदर्शन जारी रखने के लिए रामलीला जाने की अनुमति दी जाए।

वकील एपी सिंह बोले – प्रदर्शन में नहीं शामिल होंगे बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं

भानु किसान संगठन के वकील एपी सिंह ने कहा कि बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं प्रदर्शन में शामिल नहीं होगी भविष्य‌ में. उनका संगठन अदालत से सहमत है. सीजेआई ने उनका बयान दर्ज किया.

केवल प्रदर्शन करना है तो करते रहिए, कमिटी बनाने से कोई नहीं रोक सकता – चीफ जस्टिस

चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आप समाधान चाहते हैं तो हम इसके लिए तैयार हैं, अगर आपको केवल प्रदर्शन करना है तो आप करते रहिए. सीजेआई ने कहा कि हम प्रधानमंत्री या किसी और को इस मामले में निपटारे के लिए नहीं कहने जा रहे. किसानों के वकील एम एल शर्मा ने कहा कि पीएम ने अबकक किसानों से मुलाकात नहीं की है. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा हम पीएम मोदी को इसपर कुछ करने को नहीं कह रहे. अगर कमिटी बनने के बाद वह किसी से भी मिलना चाहते हैं तो मिल सकते हैं.चीफ जस्टिस ने कहा कि इस दुनिया में कोई ऐसी ताकत नहीं जो हमें कमिटी बनाने से रोक सके. हम लोग समस्या का समाधान चाहते हैं. आपको (किसानों) को साथ देना ही होगा.

कमिटी के लिए पूर्व चीफ जस्टिस का नाम

पूर्व सीजेआई जस्टिस जेएस खेहर समेत अन्य के नाम समिति के लिए सुझाए गए हैं. सीजेआई ने कहा कि कल दुष्यंत दवे ने कहा था कि ट्रैक्टर रैली 26 को नहीं होगी. हम समाधान चाहते हैं और हम समिति का गठन करेंगे.

चीफ जस्टिस ने कहा – कानून पर रोक लगाना चाहता है कोर्ट

इसपर सीजेआई ने कहा कि हम कानून को अमल में लाने पर रोक लगाकर हल निकालने का रास्ता निकालना चाह रहे हैं. सीजेआई ने कहा हम लोगों के जान-माल और संपत्ति के नुकसान को लेकर चिंतित हैं और हमारे पास यह शक्ति है कि हम कानून पर रोक लगाएं और हल निकालने के लिए समिति का गठन करें, जो हल चाहता है वह समिति के पास जाएगा. समिति हमारे समक्ष रिपोर्ट देगी. CJI ने कहा कि किसी भी किसान की ज़मीन कहीं नहीं जाएगी.सीजेआई ने कहा कि हमारे सामने तस्वीर स्पष्ट है कि क्या हो रहा है. बार काउंसिल के सदस्य इस मामले में न्याय का समर्थन करें. यहां राजनीति को मौका नहीं दिया जाएगा.

सुनवाई शुरू, किसानों के वकील बोले – कमिटी से समाधान नहीं चाहते किसान

वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसान किसी समिति के समक्ष नहीं जाना चाहते. वो चाहते हैं कि कानून वापस हो. अन्यथा वह प्रदर्शन जारी रखेंगे.
वकील शर्मा ने कहा कि यह प्लानिंग है और अदालत इस पर अंकुश लगाए.

आदेश से पहले किसानों का पक्ष सुनेगा सुप्रीम कोर्ट

किसान आंदोलन और कृषि से संबंधित तीन नए कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में करेगा किसानों का पक्ष सुनेगा. किसानों ने संयुक्त समिति में भाग लेने से इनकार किया है. साथ ही केंद्र ने 26 जनवरी कि ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की मांग की है. इसके बाद आदेश जारी होगा.

अमृतसर से दिल्ली की ओर निकली ट्रैक्टर रैली

पंजाब: किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी ने कृषि कानूनों के खिलाफ अमृतसर से दिल्ली की ओर ट्रैक्टर रैली निकाली. एक किसान ने बताया, “हमारा हज़ारों ट्रैक्टरों का जत्था दिल्ली धरने में शामिल होगा और 26 जनवरी की परेड में भी शामिल होगा. हमारा जत्था 3 कानूनों को रद्द करवाकर ही वापस आएगा.”

गाजीपुर: किसान को पड़ा दौरा

गाजियाबाद में धरने पर बैठे एक किसान को आज दौरा पड़ गया. फिर आनन फानन में पुलिस की गाड़ी से किसान को अस्पताल लेकर जाया गया.

सरकार नहीं मानी तो लोहड़ी के बाद होली भी यहीं मनाएंग – किसान

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन आज 48वें भी जारी है. एक प्रदर्शनकारी ने बताया,”अगर सरकार नहीं मानी तो लोहड़ी तो क्या हम होली भी यहीं मनाएंगे. हम सरकार से कहना चाहते हैं कि किसानों की तरफ ध्यान दे. यहां 51-52 लोग मर गए सरकार को उनकी फिक्र नहीं है.”

कोर्ट से उम्मीद, रद्द हों कृषि कानून

गाज़ीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 46वें दिन भी जारी है. भारतीय किसान यूनियन के राजवीर सिंह जादौन ने कहा, “हम कोर्ट से अपेक्षा करेंगे कि कानूनों को खत्म करने का आदेश दे और MSP पर कानून बने.”

किसानों को सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद

कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 48वें दिन भी जारी है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट से तो उम्मीद है मगर सरकार से उम्मीद नहीं है क्योंकि अगर सरकार चाहती तो यह फैसला अब तक हो गया होता.”

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट में प्रारंभिक हलफनामे में केंद्र की तरफ से कहा गया है कि अदालत किसान संगठनों की गणतंत्र दिवस को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाए. सरकार ने कहा है कि इस रैली से विश्व में देश के सम्मान को ठेस पहुंचेगी. किसान आंदोलन मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से इस बात की गुजारिश की है. केंद्र ने इस हलफनामे के ज़रिए कहा है कि प्रदर्शनकारियों की ‘गलत धारणा’ को दूर करने की ज़रूरत है. कृषि मंत्रालय ने शीर्ष अदालत को बताया है कि प्रदर्शनकारियों में गलत धारणा है कि केंद्र सरकार और संसद ने कभी भी किसी भी समिति से परामर्स प्रक्रिया या मुद्दों की जांच नहीं की.

SC की तीखी टिप्पणी के बाद नरेन्द्र तोमर ने कहा- जो भी फैसला होगा, हमें मंजूर होगा

सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि बताते हुए कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर (Narendra Tomar) ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि आंदोलन जल्दी खत्म हो. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान यूनियन के साथ बात कर रास्ता निकालने की कोशिश की है.

किसानों को बीजेपी सासंद ने बताया फर्जी

कर्नाटक के कोलार से बीजेपी सांसद एस मुनीस्वामी ने कहा दिल्ली की सीमाओं पर मौजूद किसानों को पैसे देकर लाया गया है. वे लोग बिचौलिए और फर्जी किसान हैं. वहां वे पिज्जा, बर्गर और केएफसी की चीजें खाते हैं और जिम तक खोल लिया गया है. यह ड्रामा रुकना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट आज कृषि क़ानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा. कल सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रखा था.

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