बिहार: कांग्रेस ने विधायकों को हैदराबाद में क्यों रखा? उपेंद्र कुशवाहा ने खोला राज

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस विधायकों के हैदाराबाद जाने का कारण बता दिया है। उन्होंने बड़ा दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक और राजद के कई नेता विधायक एनडीए के संपर्क में हैं। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनता दल के कुछ लोग भ्रम फैलाने में लगे हुए हैं कि जनता दल यूनाईटेड में टूट है। ऐसी बात नहीं है। वह अफवाह फैला रहे हैं। जदयू या एनडीए में किसी तरह की कोई टूट नहीं है। बहुमत सिद्ध करने में सरकार के लिए कोई परेशानी नहीं होगी। एनडीए सरकार को बहुमत के आकड़े से जायदा संख्या है। उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि दिल्ली में हमारी मुलाकात एनडीए के बड़े नेता से होने वाली है। जल्दी ही सीट समेत सभी मुद्दों पर बात होगी। 

बिहार में राजनीतिक उठापटक की आशंका 
बता दें कि रविवार की शाम बिहार कांग्रेस विधायकों का जत्था अचानक हैदराबाद के शमशाबाद हवाईअड्डे उतरा था। मीडिया के सवालों पर बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह सीधा जवाब दिया कि यहां हमारी पार्टी की नई सरकार बनी है, इसलिए हम सभी यहां पहुंचे। मुख्यमंत्री से मिलेंगे और उन्हें बधाई देंगे। बिहार कांग्रेस के 19 में से 16 विधायक हैदराबाद में उतरे और यहां फोटो सेशन भी कराया। अखिलेश सिंह भले कह रहे कि वहां के सीएम को बधाई देने पहुंचे हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुमत परीक्षण के दिन कांग्रेस के विधायकों को एकजुट रखने के उद्देश्य से वहां गए हैं। अखिलेश सिंह ने कहा कि बाकी तीन विधायक भी आ जाएंगे। 

क्या है बिहार विधानसभा का गणित, यह जानें
बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं। यह विधायक महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के 79 विधायकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। इन दोनों दलों के अलावा, वामपंथी दलों के कुल 16 विधायक भी महागठबंधन के साथ हैं। इसके अलावा सत्ता से दूर इकलौते विधायक असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के हैं। यह सत्ता के साथ भी नहीं हैं। मतलब, बिहार में महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं, वैसे विपक्ष के रूप में उसकी अधिकतम ताकत 115 हो रही है। भाजपा के कथित ऑपरेशन लोटस के डर से कांग्रेस के विधायकों को हैदराबाद भेजे जाने की जानकारी सामने आ रही है। अगर यह विधायक 11 फरवरी की शाम के पहले पटना नहीं लौटे तो यह पक्का हो जाएगा।

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