रामपुर तिराहा कांड: 15 मार्च को आएगा पहला फैसला, 28 साल बाद इंसाफ की उम्मीद जगी

मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड में आखिरकार फैसले की घड़ी आ पहुंची है। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार 28 साल बाद इंसाफ की उम्मीद जगी है। सीबीआई बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली में सुनवाई पूरी हो गई। अदालत ने फैसले के लिए 15 मार्च की तिथि तय की है। 

शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि शुक्रवार को प्रकरण में सुनवाई पूरी हो गई। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने फैसले के लिए 15 मार्च की तिथि तय कर दी है। पत्रावली में पीएसी के सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर मुकदमा चल रहा था। दोनों पर पीड़िताओं के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म का मुकदमा है।

यह था मामला
एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे। अदालत में प्रकरण की सुनवाई चल रही है।

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