ज्ञानेश कुमार और एसएस संधू बने नए चुनाव आयुक्त

दिल्ली। लंबे चले सियासी हंगामें और हलचल के बीच चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर आधिकारिक जानकारी सामने आ गई है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस पद के लिए जिन दो नामों की संभावना जताई थी, गुरुवार शाम को जारी नोटिफिकेशन में उन्हीं का नाम निकलकर सामने आया है. यानी कि ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू चुनाव आयुक्त बना दिए गए हैं. नियुक्ति को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया है.

सहकारिता मंत्रालय से हुए रिटायर

बता दें कि ज्ञानेश कुमार कुछ दिनों पहले ही सहकारिता मंत्रालय के सचिव पद से रिटायर हुए हैं. यहां ज्ञानेश ने मंत्रालय के गठन के समय से लेकर अब तक काम किया. सहकारिता मंत्रालय गृह मंत्री अमित शाह के अंतर्गत आता है. इससे पहले ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में कश्मीर डिवीजन के जॉइंट सेक्रेटरी थे, उनके समय ही धारा 370 हटाई गई थी.

1988 बैच के केरल काडर के हैं IAS

ज्ञानेश कुमार ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गृह मंत्रालय के साथ काम करते हुए उनकी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक की तैयारी में भी सक्रिय भूमिका रही. गृह मंत्रालय में ज्ञानेश पदोन्नत होकर एडिशनल सेक्रेटरी भी बने थे. वह 1988 बैच के केरल काडर के आईएएस ऑफिसर हैं.

कौन हैं पूर्व IAS अधिकारी सुखबीर संधू

पूर्व आईएएस अधिकारी सुखबीर संधू को जुलाई 2021 में ओम प्रकाश की जगह उत्तराखंड का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था. 1988 बैच के आईएएस अधिकारी संधू भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अध्यक्ष के रूप में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर थे. केन्द्र सरकार ने इनको एक साल के लिए लोकायुक्त सचिव नियुक्त किया था. उस वक्त नियुक्ति के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल समिति द्वारा जारी नियुक्ति पत्र के मुताबिक उत्तराखंड कैडर और 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ. सुखबीर संधू की नियुक्ति एक वर्ष की अवधि के लिए अनुबंध के आधार पर की गई. गौरतलब है कि संधू पिछले साल 30 सितंबर को उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.

अधीर रंजन चौधरी ने नियुक्ति पर उठाए थे सवाल
बता दें कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सियासी गली में गुरुवार को काफी हंगामा मचा रहा. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर ही सवाल उठाए थे. कांग्रेस नेता ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि उनसे बहुत ही अव्यावहारिक तरीके से नियुक्ति में शामिल होने के लिए कहा गया.

उनका आरोप था कि पहले 212 नामों की एक लंबी लिस्ट थमाकर सिर्फ एक रात का वक्त दिया और फिर अगली सुबह सिर्फ 6 नाम सामने रख दिए. ये सिर्फ 10 मिनट पहले हुआ है. अधीर रंजन चौधरी ने सवाल किया है कि, इतने कम समय में कैसे नाम तय किए जा सकते थे.

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