एसबीआई को जल्द से जल्द इलेक्टोरल बॉन्ड का नंबर चुनाव आयोग को देना होगा: एससी

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल मामले की आज फिर एक बार सुनवाई की. सुनवाई करने वाले पांच जजों की संविधान पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिसरा शामिल रहें.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई एक हलफनामा दाखिल करे कि अदालत के आदेश में इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित जो भी जानकारी मांगी गई हैं, वह सारी जानकारी ईसीआई को मुहैया करा दी गई है और ऐसी कोई जानकारी नहीं जिसको अपने तक ही एसबीआई ने रखा है.

इस तरह, एसबीआई को तत्काल बॉन्ड नंबर ईसीआई को मुहैया कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, गुरूवार (21 मार्च) तक एसबीआई को सभी जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया करा दिए जाने का हलफनामा कोर्ट में देना होगा.

साल्वे की दलीलें और कोर्ट का आदेश

इस मामले में स्टेट बैंक की ओर से हरीश साल्वे पेश हुए. उन्होंने साल 2019 के अंतरिम आदेश का जिक्र किया और बताया कि स्टेट बैंक ने इस फैसले को किस तरह समझा है. हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल 2019 के आदेश को जिस तरह समझा, वह बताया.

साल्वे ने कहा कि चूंकि बॉन्ड अलग-अलग जगह फिजिकल तरीके से रखे गए थे, ऐसे में बॉन्ड नंबर नहीं दिए गए और हमें इसको देने में कोई समस्या नहीं है. इस पर सीजेआई ने कहा कि अंतरिम आदेश के बाद हमारा अंतिम आदेश (15 फरवरी) का आया है और हमने सारी जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था, आप चुनिंदा जानकारी साझा नहीं कर सकते.

कोर्ट में सुनवाई बेहद तल्ख रही

आज की सुनवाई की शुरुआत बेहद तल्ख माहौल मे हुई. फिक्की, एसोचैम की ओर से पेश होते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि कृपया अल्फा नंबर देने के मुद्दे को टाल दें. इस पर सीजेआई ने रोहतगी से कहा कि आप पहले आवेदन दीजिए फिर आपको सुना जाएगा.

मुकुल रोहतगी कोशिश करते रहे मगर अदालत ने उनको अपनी बात रखने की इजाजत नहीं दी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि 12 अप्रैल 2019 की कट ऑफ तारीख इसीलिए रखी गई है क्योंकि यह सभी को मालूम था कि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here