बिहार एनडीए में बढ़ रहा तनाव, पशुपति पारस के बाद उपेंद्र कुशवाहा भी सीट शेयरिंग से नाराज

बिहार में कल, सोमवार को लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट समझौता हो गया. सीट समझौते में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के लिए राष्ट्रीय लोक मोर्चा को सीट शेयरिंग में एक सीट दिया गया. सूत्रों की मानें तो कुशवाहा इकलौती काराकाट सीट मिलने से नाराज़ हैं.

वह अपनी पार्टी के लिए दो सीट चाहते थे. अगर दो सीटों की बात करें तो एक काराकाट और दूसरा सुपौल या सीतामढ़ी में से एक सीट पर कुशवाहा दावा ठोक रहे थे मगर जब सीट समझौता हुआ तो उनके कोटे में महज 1 सीट आई.

प्रेस कांफ्रेंस से दिखी दूरी

जानकारी के मुताबिक उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी नाराजगी बीजेपी नेतृत्व को सीट शेयरिंग की घोषणा से पहले ही बता दी थी. सीट शेयरिंग की घोषणा के लिए जो प्रेस कांफ्रेंस बीजेपी दफ़्तर में हुई, कुशवाहा की नाराजगी का नमूना वहां भी दिखा. कुशवाहा ने उस प्रेस कांफ्रेंस में अपनी पार्टी का कोई भी प्रतिनिधि नहीं भेजा.

बीजेपी दफ़्तर में सीट शेयरिंग की घोषणा के लिए जो प्रेस कॉन्फ़्रेस हुई, उसमे बीजेपी की ओर से बिहार बीजेपी के प्रभारी विनोद तवाड़े, उपमुख्यमंत्री और बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी, एलजेपी (रामविलास) की तरफ़ से राजू तिवारी और जीतनराम माँझी की पार्टी से रजनीश कुमार शामिल हुए थे मगर कुशवाहा की पार्टी का प्रतिनिधि नहीं होने से राजनीतिक कयास और उनकी नाराजगी की खबरें चलने लगी.

बिहार में किसे मिली कितनी सीटें?

सीट समझौते के तहत नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, भारतीय जनता पार्टी जदयू से 1 सीट अधिक 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने बराबर (17-17 सीटों) पर चुनाव लड़ा था.

बिहार में कुल 40 सीटें हैं. भारतीय जनता पार्टी और जदयू के बीच क्रमशः 17 और 16 सीटों के बंटवारे के बाद बाकी की 5 सीटें चिराग पासवान की पार्टी, 1 जीतनराम मांझी की पार्टी और 1 उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को दी गई है.

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