चीन के साथ पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद से लेकर आईएमईसी पर जयशंकर ने की बात

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर चार साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि भारत चीन के साथ शेष मुद्दों के समाधान की उम्मीद करता है और द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य होने से ही सीमा पर शांति हो सकती है। 

केवल ‘बड़ी तस्वीर’ पेश की
एक इंटरव्यू में विदेश मंत्री ने कहा कि शेष मुद्दे मुख्य रूप से गश्त करने के अधिकारों और गश्त क्षमताओं से संबंधित हैं। यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले महीने न्यूजवीक पत्रिका में की गई टिप्पणी से उभरे विवाद के समाधान की उम्मीद कब की जा सकती है। इस पर जयशंकर ने कहा कि उन्होंने इस मामले में केवल ‘बड़ी तस्वीर’ पेश की है।

उन्होंने आगे कहा, ‘हम उम्मीद करेंगे कि वहां शेष मुद्दों का समाधान होगा। ये मुद्दे मुख्य रूप से वहां गश्त के अधिकार और गश्त क्षमताओं से संबंधित हैं। मैं इस मामले को प्रधानमंत्री के इंटरव्यू से नहीं जोड़ूंगा। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री बड़ी तस्वीर पेश कर रहे हैं और उनका बड़ी तस्वीर वाला नजरिया बहुत तार्किक नजरिया है, जो यह है कि आखिरकार पड़ोसी होने के नाते हर देश अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है।’विज्ञापन

चीन के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं
जयशंकर ने कहा, ‘लेकिन आज, चीन के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग हो गई है। इसलिए प्रधानमंत्री उम्मीद कर रहे थे कि चीनी पक्ष को यह समझना चाहिए कि मौजूदा स्थिति उसके अपने हित में नहीं है।’

गौरतलब है, पीएम मोदी ने कहा था कि सीमा पर शांति लाने के लिए हालातों पर तुरंत बात करने की आवश्यकता है। भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। जयशंकर ने कहा कि कूटनीति धैर्य का काम है और भारत चीनी पक्ष के साथ मुद्दों पर चर्चा करता रहेगा। उन्होंने गुरुवार को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं कहूंगा कि अगर रिश्ते सामान्य हो रहे हैं तो हमें मुद्दों को हल करना होगा।’

द्विपक्षीय व्यापार क्यों बढ़ रहा?
यह पूछे जाने पर कि चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार क्यों बढ़ रहा है, जबकि भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि सीमा पर स्थिति असामान्य होने पर संबंध सामान्य नहीं हो सकते, जयशंकर ने सुझाव दिया कि ऐसा परिदृश्य इसलिए उत्पन्न हुआ है क्योंकि 2014 से पहले विनिर्माण क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह आसानी से समझा जा सकता है कि अगर सीमा पर अमन-चैन नहीं होगा तो संबंध कैसे सामान्य हो सकते हैं। अगर कोई दुश्मन बनकर खड़ा है आपके दरवाजे पर तो आप बाहर जाकर ऐसा नहीं दिखा सकते कि सब कुछ सही है। मेरे लिए यह एक सीधा प्रस्ताव है।’

भारत और चीन की सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध चल रहा है। सीमा विवाद का अभी तक पूर्ण समाधान नहीं हो पाया है। जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए। हालांकि दोनों पक्ष टकराव के कई बिंदुओं से पीछे हट गए हैं। भारत लगातार कहता रहा है कि सीमा पर शांति लाने के लिए संबंधों को सामान्य करना जरूरी है। 

आईएमईसी के कार्यान्वयन में देरी चिंता का विषय: जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) के क्रियान्वयन में देरी चिंता का विषय है और पिछले साल सितंबर में इस पहल को ठोस रूप दिए जाने के बाद पैदा हुई उम्मीदों को अब थोड़ा समायोजित करने की जरूरत है।

जयशंकर ने कहा कि आईएमईसी के सभी हितधारक इसके लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि वे इसे बहुत अच्छी पहल मानते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम एशिया में जारी संकट से परियोजना में कुछ साल की देरी होगी, उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से यह हमारे लिए चिंता का विषय रहा है और सितंबर में समझौते पर हस्ताक्षर के समय हमें जिस तरह की उम्मीदें थीं, हमें उसमें कुछ समायोजन करना होगा।’ 

भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) एक महत्वपूर्ण पहल है, जो जी-7 द्वारा प्रतिक्षादित वैश्विक अधौंसंरचना और निवेश के लिए साझेदारी (पीजीआईआई) को आगे बढ़ाने का काम करेगा। प्रस्तावित गलियारे के विकास के लिए अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने एकजुट होकर काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।  

गलियारे का उद्देश्य और व्यापार 
दरअसल, इस गलियारे का उद्देश्य रेलवे ट्रैक और शिपिंग मार्गों के नेटवर्क के माध्यम से भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच व्यापार को सुगम बनाना है। एक ढंग से देखा जाए तो यह गतिशक्ति का अतंराष्ट्रीयकरण है। इस युगांतकारी गलियारे से दो महाद्वीपों के बीच बेहतर संयोजन और आर्थिक एकीकरण के जरिए आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलने, और इस तरह सतत् और समावेशी आर्थिक विकास के द्वार खुलने की संभावना बढ़ी है। इसका उद्देश्य रेलवे, बंदरगाहों और भूतल परिवहन का लाभ उठाते हुए मल्टीमॉडल संयोजन के एक नए युग का सूत्रपात करना है।

हमें थोड़ा इंतजार करना होगा
जयशंकर ने कहा कि दूसरी ओर समझौते के सभी पक्षों ने फिर से पुष्टि की है और सभी इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें चीजों के स्थिर होने का थोड़ा इंतजार करना होगा। मेरे विचार से यह बहुत चिंता का विषय है और यह एक बहुत जटिल मुद्दा भी है। क्योंकि यह कोई अकेला मुद्दा नहीं है जिस पर आपका खुद अकेले का फैसला हो।’

मोदी सरकार विनिर्माण को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत के घरेलू विनिर्माण और समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने से वैश्विक स्तर पर देश के प्रभाव का विस्तार करने और आर्थिक मोर्चे पर चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपनी विदेश नीति में बहुत अधिक संसाधन उपलब्ध होंगे।

जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत पिछले 10 साल से घरेलू विनिर्माण बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि 2014 से पहले इस क्षेत्र की उपेक्षा की जाती थी और इसने देश के लिए कई समस्याएं पैदा की थीं।

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