शहीदों के सरताज- गुरु अर्जन देव जी !

नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर एनडीए गठबंधन का नया इतिहास रच दिया। उनके 72 सदस्यीय मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा हो गया। मोदी ने कार्यभार संभालते ही 9 करोड़ 30 लाख किसानों को 20 हजार करोड़ रुपये की 17वीं किस्त भेजने को फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए। रियासी के शिवखोड़ी मन्दिर के निकट लक्षित हत्यायें करने वाले इस्लामिक आतंकियों ने बस चालक सहित 10 तीर्थयात्रियों की जान लेकर फिर चुनौती देकर सुरक्षा-व्यवस्था और घाटी में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के झूठे प्रपंच की पोल खोल दी। इन खबरों और इस घटनाक्रम पर तो सारा प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया मुखर है। बड़े-बड़े पत्रकारों की लेखनी व धांसू एंकरों की टिप्पणियां खूब गूंज रही हैं।

अफ़सोस है कि राष्ट्रीय कहे जाने वाली मीडिया ने देश धर्म की रक्षा में शहादत देने वाले पांचवें गुरु अर्जन देव जी की शहादत पर किसी ने कलम नहीं उठाई, किसी एंकर के मुंह से दो शब्द नहीं निकले।

धर्म व कौम की रक्षा में प्राण उत्सर्ग करने की गुरु परम्परा में गुरु अर्जन देव जी के बलिदान को भूलने का सीधा अर्थ है कि सिर्फ 75 वर्ष आज़ाद रहने के बाद देश फिर गुलामी के अंधे दौर की ओर तेजी से दौड़ रहा है। 15 अप्रैल 1563 में गोइंदवाल साहब में गुरु अर्जन देव जी का जन्म हुआ और देश भर में जनमानस पर उनके बढ़ते प्रभाव से भयभीत होकर मुगल बादशाह जहांगीर ने उन्हें सन् 1606 में गिरफ्तार कराके पांच दिनों तक बेरहमी से भीषण यंत्रणा देकर मार डाला। लाहौर किले में गिरफ्तार गुरु साहब को बाद‌शाह के विद्रोही बेटे ख़ुसरो मिर्ज़ा का साथ देने का आरोप लगाया गया और मई-जून की भीषण गर्मी में तपते तवे पर बैठाया गया। ऊपर से खौलता हुआ तेल व गर्म रेत डाली गई। 5 दिनों तक द‌रिया में डुबोये रखा गया फिर आग में जिन्दा जला दिया गया। जब गुरु साहब को अमानवीय यंत्रणा दी जा रही थी तब स्पेन का ईसाई धर्म प्रचारक जेरोम जेवियर लाहौर में था। उसने अपने यात्रा वृतांत में गुरु अर्जन देव के मारे जाने और उनके अदम्य साहस की प्रशंसा लिखी है। जहांगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुज़क-ए-जहाँगीरी’ में गुरु साहब को इस्लाम विरोधी लिखा है। शेख़ अहमद सरहिन्दी ने उन्हें अपनी किताब में ‘काफिर हिंदू’ बताया है।

गुरु अर्जन देव जी सभी पंथों व जातियों का आदर करते थे। श्री हरमंदिर साहिब का नक्शा उन्होंने ही बनवाया था। श्री गुरुग्रंथ साहिब का संपादन कर उसमें अनेक संतों की वाणियों, भजन व शबद को संग्रहित किया। दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक पुस्तक श्री सुखमणि साहिब में स्वरचित 2000 भजन संग्रहित किए। तरन तारन व जालंधर शहरों की स्थापना की। सामू‌हिक रसोई (लंगर सेवा) के लिए आमद‌नी का 10वां हिस्सा निकालने की प्रथा चलाई। देश व धर्म की रक्षा में गुरु अर्जन देव जी का योगदान सृष्टि पर्यन्त भूला नहीं जाना चाहिए किन्तु देश का बुद्धिजीवी वर्ग उन्हें भूल रहा है। यह हमारे घोर पतन को दर्शाता है। हमारी सैकड़ों पीढ़ियां भी उनके ऋण से उऋण नहीं हो सकतीं। उनकी अमर शहाद‌त को कोटि-कोटि नमन।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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