अमित शाह ने मंगलवार को बतौर केंद्रीय गृह मंत्री अपना कार्यभार संभाल लिया है। वे दूसरी बार देश के गृह मंत्री बने हैं। दूसरी पारी में उनके सामने कई चैलेंज हैं। हालांकि वे कह चुके हैं कि अब देश में उग्रवाद या नक्सलवाद के ज्यादा दिन नहीं बचे हैं।
आतंकवादी भी अब अंतिम सांस ले रहे हैं। अमित शाह ने कहा था, तीन साल के भीतर नक्सलवाद को जड़ से खत्म कर दिया जाएगा। इसका कोई नाम लेने वाला भी नहीं होगा। जम्मू कश्मीर में ‘जीरो टेरर प्लान’ पर काम शुरू हो चुका है। अब केवल आतंकियों या नक्सलियों के एनकाउंटर पर ही फोकस नहीं है, बल्कि उन्हें चारों तरफ से घेरा जा रहा है। धन, हथियार और खाने पीने से लेकर दूसरे सामान तक की सप्लाई चेन खत्म की जा रही है।
इसमें राज्यों की पुलिस का सहयोग भी लिया जा रहा है। देश में अगले माह से तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू किया जाएगा। इसमें कई तरह की चुनौतियों का सामने आना संभव है। साइबर अपराधियों, खालिस्तान और मणिपुर सहित देश के दूसरे ऐसे राज्य, जिनकी सीमा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से लगती है, वहां पूर्ण रूप से फैंसिंग सुनिश्चित हो, यह कार्य भी अमित शाह के दूसरे कार्यकाल में पूरा होना है।
यह है गृह मंत्रालय के सामने पहली चुनौती
पिछली बार केंद्रीय गृह मंत्रालय में अमित शाह की टीम में तीन राज्य मंत्री भी थे। इनमें नित्यानंद राय, अजय मिश्रा ‘टेनी’ और निशीथ प्रमाणिक शामिल थे। इस बार अजय मिश्रा ‘टेनी’ और निशीथ प्रमाणिक, लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। नित्यानंद राय को दोबारा से गृह राज्य मंत्री बनाया गया है। उनके साथ ही बंडी संजय कुमार को भी गृह मंत्रालय में बतौर राज्य मंत्री शामिल किया गया है। फिलहाल, अमित शाह के साथ दो राज्य मंत्री काम करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सामने पहली चुनौती, तीन नए आपराधिक कानूनों को निर्बाध रूप से लागू करना रहेगा। गत वर्ष जब इन कानूनों को संसद की मंजूरी मिली थी तो यह कहा गया था कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलकर रख देंगे।
तीन नए कानूनों पर नागरिकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का मार्गदर्शन करने के लिए पोर्टल और एप तैयार किए गए हैं। इनके माध्यम से नई न्याय प्रणाली को समझने और उसके क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। इस बाबत गृह मंत्रालय एवं विभिन्न राज्यों में तेजी से काम हो रहा है। विभिन्न उपकरण मुहैया कराने के अलावा कार्मिकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। बता दें कि तीन नए कानूनों को गत वर्ष 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिली थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 25 दिसंबर को तीन नए कानूनों पर अपनी मुहर लगाई थी।
साइबर अपराध से निपटने की तैयारी
देश में साइबर अटैक के केस बढ़ रहे हैं। अपराधियों द्वारा नित्य नई तकनीक इस्तेमाल की जा रही है। साइबर हमलों का शिकार, केवल आम आदमी ही नहीं, बल्कि सरकारें और विभिन्न वित्तीय संस्थान भी बन रहे हैं। देश में साइबर अपराध से निपटने के लिए जो पॉलिसी बनाई गई हैं, उनके क्रियान्वयन में तेजी लाई जाएगी। गृह मंत्रालय में साइबर क्राइम से निपटने के लिए स्थापित किए गए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई4सी) के सीईओ राजेश कुमार और उनकी टीम, अपराधियों का पता लगाने में जुटी है। आर्थिक अपराध के शिकार लोगों के नुकसान की भरपाई जल्द हो, इसका निरंतर प्रयास किया जा रहा है। देश में औसतन, रोजाना साइबर अपराध के चलते 50000 कॉल आ रही हैं। एक लाख लोगों पर 129 शिकायतें दर्ज हो रही हैं। गृह मंत्रालय अब इस मैकेनिज्म पर काम कर रहा है कि एक घंटे के भीतर साइबर अपराध से जुड़ी शिकायत दी जाती है तो पैसे के नुकसान से बचाव हो सकता है। साल 2023 में सेक्सटॉर्शन फ्रॉड के 19000 केस सामने आए हैं, शाह की दूसरी पारी में इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाना, किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
जम्मू कश्मीर में बदल रहे हालात
अमित शाह ने कार्यभार संभालने के बाद कहा, केंद्रीय गृह मंत्रालय देश और देशवासियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध होकर निरंतर कार्य करता रहेगा। मोदी 3.0 में देश की सुरक्षा नीतियों एवं प्रयासों को नई ऊंचाइयां मिलेगी और भारत आतंकवाद व नक्सलवाद के खिलाफ एक मजबूत शक्ति बनकर उभरेगा। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, सदन की सारी मर्यादाएं तोड़कर जो लोग कहते थे कि अनुच्छेद 370 खत्म होने से रक्तपात होगा, लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस प्रकार की व्यवस्था की है कि किसी की एक कंकड़ फेंकने की भी हिम्मत नहीं हुई। 2010 में सीजफायर उल्लंघन की 70 घटनाएं हुईं थी, 2023 में सिर्फ 2 घटनाएं हुईं।
2010 में घुसपैठ की 489 घटनाएं हुईं, 2023 में सिर्फ 48 घटनाएं हुईं हैं। अनुच्छेद 370 खत्म होने का ही नतीजा है कि घाटी में 30 वर्ष बाद 2021 में जम्मू और कश्मीर में पहली बार सिनेमा हॉल खुला। श्रीनगर में एक मल्टीप्लेक्स बना। पुलवामा, शोपियां, बारामूला और हंदवाड़ा में 4 नए थियेटर खुले हैं। 100 से अधिक फिल्मों की शूटिंग शुरू हो गई है। लगभग 100 सिनेमा हॉल्स के लिए बैंक लोन के प्रस्ताव बैंकों में विचाराधीन हैं। जम्मू कश्मीर में अभी पाकिस्तानी आतंकी मौजूद हैं। वे कुछ दिनों के अंतराल में सैन्य बलों पर हमला करते हैं। आम लोगों को भी निशाना बनाते हैं।
आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाएगा
जम्मू कश्मीर में 1994 से 2004 के बीच कुल 40,164 आतंकवाद की घटनाएं हुईं थी। 2004 से 2014 के बीच ये घटनाएं 7,217 हुईं, जबकि मोदी सरकार के 9 वर्षों में 70 फीसदी की कमी के साथ ये घटनाएं सिर्फ 2,197 रह गईं। इनमें 65 फीसदी पुलिस कार्यवाही के कारण घटित हुईं। मोदी सरकार के 9 वर्ष के कार्यकाल में नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 72 फीसदी और सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या में 59 फीसदी की कमी आई है।
2010 में जम्मू और कश्मीर में 2,654 पथराव की घटनाएं हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी पथराव की घटना नहीं हुई है। 2010 में 132 ऑर्गेनाइज्ड हड़तालें हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 112 नागरिकों की मृत्यु हुई थी, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 6,235 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे, 2023 में एक भी नहीं हुआ। यह स्थिति अमित शाह के पहले कार्यकाल तक की है। अब दूसरे कार्यकाल में आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाएगा।
44 नए सिक्योरिटी कैंप स्थापित होंगे
अमित शाह के पहले कार्यकाल में झारखंड और बिहार के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के कैंप स्थापित किए गए हैं। वहां पर नक्सली हमलों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। अब दूसरे कार्यकाल में गृह मंत्री शाह का फोकस छत्तीसगढ़ पर है। अमित शाह का प्लान है कि अगले तीन वर्ष के भीतर नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो जाए। शाह के प्लान पर सुरक्षा बलों ने काम शुरू कर दिया है।
छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ की लगभग 40 अतिरिक्त कंपनियां भेजी गई हैं। सुरक्षा बल, नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले हर इलाके तक पहुंच बना रहे हैं। सुकमा के ऐसे इलाके, जिनकी पहचान नक्सलियों के बटालियन मुख्यालय के तौर पर होती रही है, वहां पर सीआरपीएफ और लोकल पुलिस ने कैंप स्थापित कर लिया है। इस साल नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के करीब 44 नए सिक्योरिटी कैंप स्थापित होंगे।
नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई प्रारंभ
इस साल नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई प्रारंभ की गई है। चार दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है कि नक्सली घटनाओं में सुरक्षा कर्मियों और सामान्य नागरिकों की मौत का आंकड़ा सौ से कम रहा है। मौजूदा समय में सुरक्षा बलों ने जिस रणनीति पर काम शुरु किया है, उसके अंतर्गत दो तीन वर्ष में नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।
साल 2019 के बाद नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाकों में सुरक्षा बलों ने जो सेंध लगाई है, उससे नक्सलियों को वह क्षेत्र छोड़कर भागना पड़ा है। सुरक्षा बलों ने अपने घेरे को मजबूत करते हुए नक्सल प्रभावित इलाकों में 195 नए कैंप स्थापित किए हैं। नक्सलियों से जुड़ी हिंसा में 52 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। मौत के मामलों में 69 फीसदी की कमी आई, तो वहीं सुरक्षा बलों को होने वाली जान की हानि के मामलों में 72 फीसदी की कमी दर्ज हुई है। ऐसी घटनाओं में सामान्य लोगों के मारे जाने की संख्या में भी 68 फीसदी की कमी आई है।
एक साथ मैदान में उतरी 26 केंद्रीय एजेंसियां
अमित शाह के दूसरे कार्यकाल में ‘आतंकवाद और ड्र्रग माफिया’ को लेकर भी निर्णायक लड़ाई शुरू की जा रही है। विभिन्न मोर्चों पर एक साथ वार किया जाए, इसके लिए खास प्लान तैयार किया गया है। इस प्लान में केंद्र की 26 सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों की खुफिया विंग शामिल हैं। इन एजेंसियों की मदद से पर्दे के पीछे बैठकर आतंकी गतिविधियों एवं दूसरे अपराधों को विभिन्न तरीके से प्रोत्साहन देने वाले ‘व्हाइट कॉलर’ अपराधियों को पकड़ा जाएगा।
कश्मीर, माओवादी इलाके और उत्तर पूर्व के राज्यों में सक्रिय उग्रवादी समूहों को पूरी तरह खत्म करने के लिए अचूक रणनीति बनाई गई है। आर्मी, नेवी, एनआईए, सीबीआई, आईबी, रॉ, सीएपीएफ, डीआरआई व ईडी सहित 26 केंद्रीय एजेंसियां, केंद्रीय गृह मंत्रालय के मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) के जरिए अपनी खास रणनीति को अंजाम देंगी। केंद्र और राज्यों के ‘आतंकवाद-रोधी दस्ते’ (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) के लिए एक समन्वित प्लेटफॉर्म तैयार करने पर सहमति बनी है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को ज्यादा तवज्जो दी जाएगी।
अब निशाने पर होंगे सफेदपोश अपराधी
आतंकवाद, ड्रग माफिया और नक्सल, इससे अब निपटना नहीं है, बल्कि इसे खत्म करने के प्वाइंट तक पहुंचना है। शाह कह चुके हैं कि यह एक निर्णायक लड़ाई है। बॉर्डर क्राइम और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए ‘व्हाइट कॉलर यानी सफेदपोश अपराधी, जो पर्दे के पीछे बैठकर उन्हें वित्तीय, हथियार एवं अन्य तरीके से मदद पहुंचाने का काम करते हैं, वे बाहर निकाले जाएंगे। ऐसे लोगों का नेक्सस तोड़ने पर खास ध्यान रहेगा।
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा है कि आतंकवाद रोकने के लिए सबसे पहले इनके मददगारों को खत्म करना होगा। एक तरफ उनकी सप्लाई चेन टूटेगी और दूसरी तरफ सुरक्षा बल उन पर बड़ा वार करेंगे तो उनका पूर्ण खात्मा हो सकेगा। ग्लोबल टेरर ग्रुप, नार्को टेररिज्म, साइबर अपराध और दूसरे मुल्क में बैठकर आतंकी वारदातों को अंजाम देने वालों पर शिकंजा कसना होगा। इसके लिए केंद्रीय एवं राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों को आपस में बेहतर तालमेल करना पड़ेगा। अब प्रभावी एंटी टेरर कानून की मदद से एनआईए जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां ऐसे लोगों को आतंकी घोषित कर उनके खिलाफ पूर्ण अधिकारों के साथ कार्रवाई करने में सक्षम हैं।